भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। चार दिन पहले भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया से रेमडेसिवीर इंजेक्शन की चोरी का पर्दाफाश अब तक नहीं हो पाया है। लेकिन इस पूरे मामले में एमपी ब्रेकिंग न्यूज को सूत्रों के हवाले जो जानकारी मिली है वह बताती है कि किस तरह से आम जनता के लिए आए हुए इंजेक्शनों की बंदरबांट की गई।
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भोपाल के हमीदिया अस्पताल से रेमडेसिवीर के 850 इंजेक्शन के चोरी होने का मामला सुर्खियों में है। शुक्रवार 16 अप्रैल यह इंजेक्शन हमीदिया अस्पताल पहुंचे लेकिन शनिवार की सुबह स्टोर रूम से गायब हुए मिले। मामला पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंपा गया और अभी तक पुलिस यह पड़ताल करने में सफल नहीं हो पाई है कि आखिरकार यह वास्तव में चोरी है और अगर चोरी है तो किसने की। लेकिन एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ को मिले महत्वपूर्ण जानकारी यह बताती है कि इंजेक्शनों की चोरी से ज्यादा यह मामला वास्तव में इंजेक्शनों की बंदरबांट का है।
दरअसल 16 अप्रैल के पहले से ही रेमडेसिवीर इंजेक्शन की भारी किल्लत पूरे प्रदेश में देखने को मिल रही थी। लोग एक एक इंजेक्शन के लिए 25 से 50 हजार रू. तक देने को तैयार थे। बावजूद उसके इंजेक्शन मिल नहीं रहे थे। ऐसे में जब इंजेक्शनों का बॉक्स हमीदिया अस्पताल पहुंचा तो वहां पर मौजूद स्टाफ के पास इस बात के लगातार दबाव आने लगे कि चुनिंदा लोगों को इंजेक्शन दे दिये जाएं। इन राजनीतिक और प्रशासनिक दबावों के चलते स्टाफ के लोगों को ऐसा करना भी पड़ा और कई ऐसे लोगों को एक साथ छह छह इंजेक्शन दे दिए गए, जो ना तो अस्पताल में भर्ती थे और ना ही जिनकी बहुत ज्यादा क्रिटिकल स्थिति थी। ऐसे लोगों में स्टाफ के कुछ लोगों के परिचित और रिश्तेदार भी थे जिनको भी यह इंजेक्शन इसलिए मिल गए क्योंकि उनके लोग प्रभावशाली थे और उनके अंडर में पूरा कंट्रोल था। अब तक तकरीबन डेढ़ सौ ऐसे इंजेक्शनों की सूची प्राप्त हो चुकी है जो विभिन्न प्रशासनिक और राजनीतिक दबावों के चलते लोगों को दिए गए। हालांकि अब मामला हाईप्रोफाइल हो चुका है इसीलिए इस बात की उम्मीद कम ही है कि इस पूरे मामले से पर्दा उठ पाए। लेकिन सवाल फिर यही है कि जब आम जनता के लिए और विशेषकर उस मरीज के लिए जो हमीदिया में जीवन और मौत से संघर्ष कर रहा था के लिए इंजेक्शन आए थे तो फिर आखिरकार इनकी बंदरबांट क्यों की गई।