जबलपुर हाईकोर्ट का MP सरकार को निर्देश, 72 दिनों में यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा नष्ट करें, अगली सुनवाई 30 जून को

कांग्रेस और पीथमपुर के स्थानीय लोग लगातार वहां टॉक्सिक वेस्ट जलाए जाने का विरोध कर रहे हैं। पूर्व में इसपर कई तरह के बयान सामने आए और विरक्ष ने सरकार को इस मुद्दे पर जमकर घेरा। इस मामले को लेकर दायर याचिकाओं पर उच्च न्यायालय ने कहा कि 40 साल से लंबित इस जहरीले कचरे का निपटान अब बहुत जरूरी हो गया है।

Union Carbide Toxic Waste : मध्य प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान को लेकर चल रहे मामले में अपना जवाब पेश किया। सरकार ने न्यायालय को बताया कि जहरीले कचरे को जलाने का ट्रायल रन पूरी तरह सफल रहा है और अब इसे 72 दिनों में नष्ट किया जा सकता है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि 72 दिनों के भीतर टॉक्सिक वेस्ट को जलाकर इसकी रिपोर्ट पेश की जाए। इस मामले पर अगली सुनवाई 30 जून हो होगी।

राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि कचरे को जलाने का ट्रायल रन में 270 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से कचरा जलाया गया। इस आधार पर सरकार का कहा है कि है कि इसी गति से कचरा जलाया जाएगा तो वो 72 दिनों में खत्म हो जाएगा। बता दें कि पीथमपुर के याचिकाकर्ताओं ने कचरा जलाने के खिलाफ आपत्ति दर्ज की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने कहा कि 40 साल से लंबित इस टॉक्सिक वेस्ट की समस्या का निपटारा अब बेहद जरूरी हो गया है।

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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिए ये निर्देश

हाईकोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को लेकर राज्य सरकार को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि 72 दिनों के भीतर टॉक्सिक वेस्ट को जलाकर इसकी रिपोर्ट पेश की जाए। अदालत ने ये ये आदेश भी दिया कि कचरा जलाने की प्रक्रिया में सभी नियमों का कड़ाई से पालन किया जाए। कोर्ट के निर्देशानुसार पूरी प्रक्रिया केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MP PCB) की निगरानी में होगी, ताकि पर्यावरण और स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। हाईकोर्ट ने 30 जून को सुनवाई की अगली तारीख तय की है।

अगली सुनवाई में सरकार पेश करेगी प्रोग्रेस रिपोर्ट

बता दें कि पीथमपुर के याचिकाकर्ताओं ने कचरा जलाने के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने कहा कि 40 साल से लंबित इस टॉक्सिक वेस्ट की समस्या का निपटारा अब बेहद जरूरी हो गया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सुझाव देने की छूट दी और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि यदि सुझाव व्यावहारिक हों तो उन पर विचार किया जाए।  कचरे के विनिष्टीकरण को लेकर अगली सुनवाई में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करनी होगी।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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