पूर्व मंत्री उषा ठाकुर ने की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के दोषियों को सार्वजनिक फांसी देने की माँग, कहा- उनका अंतिम संस्कार भी न हो

बीजेपी नेता ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि सिर्फ कानून का भय ऐसे अपराधियों की दुष्प्रवृत्तियों को नहीं रोक सकता है, इसलिए दंडात्मक्र प्रक्रिया में और सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जब ऐसी कड़ी सजा पाते दूसरे लोग देखेंगे तो फिर छोटी बच्चियों के साथ दुराचार करने से डरेंगे।

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Usha Thakur demands public hanging for rapists : पूर्व मंत्री उषा ठाकुर ने कहा है छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वाले दोषियों को कड़ी सजा देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने कड़े क़ानून बना दिए है फिर भी ऐसी घटनाओं पर विराम नहीं लग रह है, इसलिए वो पीएम मोदी और सीएम डॉ मोहन ठाकुर से आग्रह करती हैं कि ऐसे लोगों को सार्वजनिक चौराहों पर फांसी दे देनी चाहिए और उनका अंतिम संस्कार भी न हो।

उन्होंने कहा कि सिर्फ कानून का भय ऐसे अपराधियों की दुष्प्रवृत्तियों को उखाड़कर नहीं फेंक सकता है इसलिए दंडात्मक्र प्रक्रिया में और सुधार की आवश्यकता है। इसी के साथ उन्होंने सख्त भाषा में ऐसे दुराचारियों पर कठोरता कार्रवाई की जाने की वकालत की है।

बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ने पर जताई चिंता

बीजेपी नेता ने कहा कि ‘छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और इसको समाज का नैतिक उत्थान ही रोक सकता है। जब तक संस्कारों का दृढ़ीकरण नहीं हो, व्यक्ति में नैतिकता नहीं हो, सात्विकता नहीं हो तब तक वो इन बुराइयों से बच नहीं सकता। कहीं न कहीं समाज में भौतिकता के आधिक्य के कारण जो आध्यात्मिकता की साधना की कमी आई है, उसी की वजह से लोगों में ये दुष्प्रवृत्तिया, दुष्विचार बहुत प्रबल होकर सामने आ रहे हैं। इससे पूरा सामाजिक तानाबाना मनुष्यता सब तार तार हो रही है।’

पीएम और सीएम से दोषियों को कड़ी सजा देने की माँग 

उन्होंने कहा कि ‘ऐसे नरपिशाचों के लिए मैं बार बार प्रधानमंत्री जी, मुख्यमंत्री जी से आग्रह करती हूं दोनों से, क्योंकि कठोर कानून तो मध्यप्रदेश ने बना दिया है कि फास्टट्रेक में मुकदमे चलाकर तीस दिन में सजा दी जाए। इसके बावजूद ये डर नहीं रहे तो सिर्फ कानून का भय इनकी दुष्वृत्तियों को उखाड़कर नहीं फेंक सकता। मुझे लगता है कि दंडात्मक प्रक्रिया में भी और सुधार करने होंगे। अपराध आदमी एकांत में करता है, उसे सज़ा भी मिल जाती है जेल में एकांत में। लेकिन ऐसे छोटी बेटियों के दुष्कर्मियों को मेरी प्रार्थना है सार्वजनिक चौराहों पर फांसी दी जाए और उनका अंतिम संस्कार भी न हो। चील कौवे उन्हें नोंच नोंचकर खाए। जब ऐसी सजा पाते दूसरे लोग देखेंगे तो फिर छोटी बेटियों की ओर हाथ बढ़ाने की हिम्मत वो नहीं कर पाएंगे।’


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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