कहीं आप भी वर्कप्लेस एंग्जायटी का शिकार तो नहीं हो रहे, जानें लक्षण और इससे डील करने का तरीका

भावना चौबे
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Workplace Anxiety Tips: अक्सर ऑफिस में काम के दबाव के चलते लोग वर्कप्लेस एंग्जायटी का शिकार हो जाते हैं। एक दो बार ऑफिस या फिर किसी भी कार्य स्थल पर डिप्रेशन या एंग्जायटी जैसा महसूस करना आम बात है लेकिन अगर हर कभी आप डिप्रेशन या एंजायटी महसूस करते हैं तो यह भारी समस्या हो सकती है। इसके पीछे का कारण सिर्फ काम का लोड ही नहीं हो सकता बल्कि कई बार सहकर्मियों का व्यवहार, बॉस का व्यवहार , कार्यस्थल पर हो रही कुछ बातें भी इसका मुख्य कारण हो सकती है। इससे न सिर्फ सेहत प्रभावित होती है बल्कि आपका काम भी बिगड़ जाता है। ऐसे में इस समस्या से निजात पाने के लिए या यूं कहें कि वर्कप्लेस एंग्जायटी से डील करने के लिए कुछ टिप्स को अपनाना जरूरी होता है।

क्या होता है वर्कप्लेस एंग्जायटी

वर्कप्लेस एंग्जायटी एक प्रकार की ऐसी चिंता है जो काम से संबंधित गतिविधियों या विचारों से जुड़ी होती है यह चिंता आपके काम के प्रदर्शन आपके रिश्तों और आपकी सामान्य मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।

वर्कप्लेस एंग्जायटी के क्या लक्षण होते हैं

वर्कप्लेस एंग्जायटी के कुछ सामान्य लक्षण है जैसे चिंता, बेचैनी, घबराहट, थकान महसूस करना ,ध्यान भटकना, सर दर्द, मांसपेशियों में तनाव या दर्द, अनिद्रा या फिर हद से ज्यादा सोना, भूख में कमी या अधिक भूख लगना, हृदय की धड़कन में तेजी या अनियमितता, पेट में ऐंठन या दर्द, सांस लेने में तकलीफ पसीना आना चक्कर आना या बेहोशी।

वर्कप्लेस एंग्जायटी से कैसे डील करें

गहरी सांस लें

वर्कप्लेस एंग्जायटी से निपटने के लिए गहरी सांस लेना एक सबसे अच्छा और फायदेमंद तरीका है। अगर आप वर्कप्लेस एंग्जायटी महसूस कर रहे हैं, तो थोड़ी देर ब्रेक लें और लंबी गहरी सांस लें। ऐसा करने से मन शांत होगा और आप थोड़ी ही देर में रिलैक्स महसूस करेंगे।

कारण पहंचानें

वर्कप्लेस एंग्जायटी होने के कई कारण हो सकते हैं इसलिए सबसे पहले कारण का पता लगाना जरूरी होता है। हालांकि इसका पता लगाना काफी मुश्किल हो सकता है। कई बार काम के दबाव के चलते एंग्जायटी होती है। हम काम पूरा करने में लगे रहते हैं लेकिन हमें एंग्जायटी होने का मुख्य कारण पता नहीं चल पाता है।

छोटे-छोटे ब्रेक्स लें

कई बार लगातार काम करने से भी वर्कप्लेस एंग्जायटी महसूस होती है ऐसे में बीच में थोड़ा-थोड़ा ब्रेक जरूर लेना चाहिए। ऐसा करने से दिमाग और मन शांत रहेगा साथ ही साथ बेहतर तरीके से काम करने में फोकस बनेगा। इसके लिए आपको ज्यादा ब्रेक नहीं बल्कि 5-5 मिनट का ब्रेक लेना।

लाइफ को बैलेंस करना सीखें

अक्सर कुछ लोग काम में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि वह अपनी बाकी की जिंदगी भूल जाते हैं। दोस्तों से मिलना-घूमना फिरना बंद कर देते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं करना है ऐसे करने से वर्कप्लेस एंग्जायटी बढ़ती जाती है। इसलिए काम के साथ-साथ फैमिली के लिए दोस्तों के लिए और खुद के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। हमेशा काम के बारे में सोच सोचकर परेशान नहीं रहें। बल्कि खुद को रिलैक्स करने के लिए समय निकालें।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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