ॐ के उच्चारण से होता है यह फायदा, जानिए उच्चारण में छिपा रहस्य।

Gaurav Sharma
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हेल्थ, डेस्क रिपोर्ट। ॐ कहने, सुनने और देखने में तो सिर्फ एक अक्षर नजर आता है, पर, अपनेआप में ये पूरा एक मंत्र है। किसी भी मंत्र का जाप चित्त को शांत करता है,मन को केंद्रित करता है। ये भी माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति के साथ जो सबसे पहली ध्वनि गूंजी वो ओम की ही थी। हर मंत्र का आरंभ भी ओम से होता है। त्रिदेव भी इसी मंत्र से प्रकट हुए माने जाते हैं। इसलिए ये भी कहा जाता है कि इस एक शब्द में स्वयं त्रिदेव का वास होता है,यही वजह है कि इस मंत्र के नियमित उच्चारण से कई तरह के लाभ मिलते हैं।

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उच्चारण का सही तरीका

अगर आप मेडिटेशन करते हैं तो साथ में ओम का उच्चारण करें। वैसे इसका सबसे सही तरीका ये है कि सुबह उठकर आप स्नान करने के बाद इसका उच्चारण करें तो ये अधिक फलदायी होता है। पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन जैसे किसी आसन को लगाएं, आखं बंद करके बैठें और फिर ओम का उच्चारण करें। इस तरह से उच्चारण कर आप ज्यादा शारीरिक और मानसिक लाभ अर्जित कर सकेंगे।

ओम से स्वास्थ्य लाभ

• अगर आपको छोटी छोटी बातों में घबराहट होने लगती है तो ओम का उच्चारण जरूर करें।

• ओम के उच्चारण से तनाव और स्ट्रेस दोनों में राहत मिलती है।

• सांस खींच कर इसका उच्चारण करते हुए शरीर का ब्लड फ्लो भी ठीक रहता है।

• इसका असर हमारी पाचन क्रिया पर भी पड़ता है। नियमित उच्चारण से काफी हद तक डाइजेशन ठीक होता है।

• समय पर नींद न आती हो या अच्छी नींद न आती हो तो आंख बंद कर ओम का उच्चारण करें, नींद में अंतर साफ समझ में आने लगेगा।

• प्राणायाम के साथ ओम के उच्चारण की आदत डालें, ये आपके फेफड़े मजबूत बनाएगा।

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वैसे तो ये मान जाता है कि ओम का उच्चारण पूरे 108 बार किया जाना चाहिए पर व्यस्त दिनचर्या के साथ ये जरा मुश्किल काम है। आप अगर योग या मेडिटेशन करते हैं तो साथ में ओम के उच्चारण की आदत डाल सकते हैं। कम से कम 5 बार इसका उच्चारण जरूर करें। इसी तरह से 7, 11, 15, 21 के क्रम में आगे बढ़ सकते हैं। ये जरूरी नहीं कि आप ऊंचे स्वर में ही उच्चारण करें, धीरे या मन में भी उच्चारण करते हुए आप इस मंत्र से स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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