भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। पिछले कुछ समय में हार्ट अटैक (Heart attack) की घटनाओं के बढ़ने की खबरें आ रही है। ऐसी मेडिकल इमरजेंसी में में सीपीआर या कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (Cardiopulmonary Resuscitation) देकर सामने वाले की जान बचाई जा सकती है। अगर कोई व्यक्ति बेहोश हो जाए, दिल की धड़कन बंद हो या पल्स न चल रही हो तो ऐसे हालात में CPR देना चाहिए। इससे मरीज को सांस लेने में मदद मिलती है।
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ये एक लाइफ सेविंग तकनीक है जो इमरजेंसी में व्यक्ति की जान बचाने के लिए उपयोग में लाई जाती है। अगर किसी की हृदय गति रुक तो अस्पताल पहुंचने तक की अवधि में सीपीआर जीवन रक्षक की तरह काम करता है। इस प्रक्रिया में छाती को दबाकर और मुंह से सांस देकर सामने वाले के ह्रदय को दोबारा एक्टिव किया जाता है। सीपीआर दो तरह से दिया जाता है। पहला, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को और दूसरे में मेडिकल इक्विपमेंट की मदद से भी सीपीआर दी जाती है। लेकिन दूसरे तरीके के लिए मरीज को अस्पताल में होने चाहिए। व्यक्ति से व्यक्ति को दिया जाना वाला सीपीआर भी उम्र के अनुसार अलग तरीके से दिया जाता है। बच्चों को अलग और बड़ों को अलग तरह के सीपीआर की जरुरत होती है।
किसी बड़े व्यक्ति को सीपीआर देना हो तो सबसे पहले उसे सीधा लिटाना चाहिए। ध्यान रहे कि उसके शरीर का कोई हिस्सा मुड़ा हुआ न हो। इसके बाद हथेलियों को एक दूसरे के ऊपर रखते हुए सीने को दबाएं। चेस्ट पर प्रेशर डालने के दौरान इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए दो या ढ़ाई इंच से ज्यादा दबाव ना पड़े। वहीं बच्चों के लिए हथेलियों की बजाय उंगलियों का इस्तेमाल करना चाहिए और छाती पर पर 1/2 से 2 इंच तक ही प्रेशर डालना चाहिए। इसके अलावा मुंह से भी सीपीआर दी जा सकती है। अगर व्यक्ति सांस न ले पा रहा हो तो उसके मुंह पर अपना मुंह रखकर माउथ टू माउथ ऑक्सिजन सप्लाई की जाती है। सीपीआर देते हुए इस बात का ध्यान रखें कि एंबुलेंस को फोन कर दिया गया हो और मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जाए। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर को मरीज की सारी जानकारी दी जाए और बताएं कि उसे कैसे सीपीआर दिया गया है।
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