Mental Health Tips : डिजिटल युग में तकनीक और गैजेट्स का उपयोग बढ़ गया है। जिस कारण इससे जुड़ी समस्याएं भी सामने आ रही हैं। खासकर बच्चों में गेमिंग एडिक्शन एक गंभीर समस्या बन गई है। इससे उनकी पढ़ाई, सामाजिक व्यवहार, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। यह बेहद ही संवेदनशील मुद्दा है, जिसपर ध्यान ना देने पर आगे चलकर यह बच्चों के मेंटल हेल्थ पर भारी पड़ सकता है। इस कारण उनकी आंखों में भी समस्याएं हो रही है। पढ़ाई में उनका मन नहीं लग पाता है। सोशल कनेक्टिविटी भी बिल्कुल ना के बराबर रहती है, जिससे उनका दिमाग पूर्ण रुप से विकसित नहीं हो पाता है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको गेमिंग एडिक्शन से बचने के टिप्स बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप भी अपने बच्चों की इस लत को खत्म करवा सकते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से यहां…
क्या होता है गेमिंग एडिक्शन
गेम्स में लगातार नए चैलेंज और पुरस्कार मिलने की से यह बच्चों को उत्तेजित करती है। जब हर छोटे प्रयास के लिए पुरस्कार मिलता है, तो यह तंत्र दिमाग में एक सकारात्मक फीडबैक लूप बनाता है। ऑनलाइन गेम्स में अक्सर खिलाड़ियों की रैंकिंग और स्कोर दिखाए जाते हैं, जिससे बच्चों में दूसरों से बेहतर होने की प्रतिस्पर्धा का भाव बढ़ता है और इस रियल-टाइम एंटरटेनमेंट के वो आदि हो जाते हैं।
- जब उन्हें गेम नहीं खेलने दिया जाता, तो वह काफी बोर हो जाते हैं।
- उन्हें बाहरी दुनिया काफी बोरिंग लगने लगती है।
- इस कारण वह चिड़चिड़ा व्यवहार करने लगते हैं।
- उनका मूड भी अक्सर स्विंग होता रहता है।
- इस कारण वह जिद्दी भी हो जाते हैं।
अपनाएं ये टिप्स
- बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करने के लिए एक नियमित समय सीमा तय करें।
- मोबाइल और गेम्स की बजाय, बच्चों को शैक्षिक एप्लिकेशंस पर समय बिताने के लिए प्रेरित करें।
- उनके साथ ज्यादा-से-ज्यादा समय बिताएं।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)