Mental Health Tips : अक्सर ऐसा देखा जाता है कि कई लोग तो जल्दी सोने के बावजूद भी सुबह उठते ही उन्हें निराशा, उदासी और दुख होता है। उन्हें बिल्कुल भी बेड छोड़ने का मन नहीं करता। बता दें कि इस सिचुएशन को मॉर्निंग डिप्रेशन कहा जाता है। ऐसी हालत में व्यक्ति को सुबह उठते ही बहुत ज्यादा लो फील होता है। केवल इतना ही नहीं, वह दिन भर खुद को एनर्जेटिक भी नहीं रह पाते और ना ही उनका किसी काम में मन लग पाता है, क्योंकि उन्हें हमेशा ऐसा फील होता है कि वह दोबारा से सो जाएं। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको मॉर्निंग डिप्रेशन के लक्षण, इसके कारण और बचाव के उपाय बताएंगे। ऐसे में यदि आप भी मॉर्निंग डिप्रेशन जैसी मेंटल हेल्थ की समस्या के शिकार है, तो फौरन इन लक्षणों को गंभीरता से लेते हुए इसपर ध्यान दें। आइए जानते हैं विस्तार से…
लक्षण
- सोकर उठने के बाद भी ताजगी महसूस न होना और उठने में मुश्किल होना।
- सुबह के समय उदासी, निराशा या खालीपन की भावना मन में आना।
- सुबह के समय ऊर्जा की कमी होना।
- मॉर्निंग में उठन के बाद किसी बात की अधिक चिंता सताना।
- इसके अलावा, सुबह के समय भूख कम लगना भी मुख्य वजह हो सकता है।
- रात को जल्दी नींद नहीं आना या सुबह असमय जाग जाना।
- वहीं, सुबह के समय काम पर फोकस नहीं कर पाना।
- यदि सुबह के समय मन में नकारात्मक विचार आता है, तो सावधान हो जाएं।
कारण
- मॉर्निंग डिप्रेशन पर्याप्त नींद नहीं लेने के कारण होता है। उन्हें दूसरों की अपेक्षा डिप्रेशन का खतरा ज्यादा होता है, क्योंकि इंसान जब तक भरपूर नींद नहीं लेगा, तब तक उसे सुबह उठने का मन नहीं करेगा और अगर वह मजबूरी में उठता भी है, तो वह दिन भर लो फील करेगा।
- कंपटीशन की इस दुनिया में लोग पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को बैलेंस नहीं कर पाते हैं। जिस कारण उनके दिमाग में तरह-तरह की बातें चलती रहती है। वह काम और रिश्तों के बोझ तले इस कदर दब जाते हैं कि वह धीरे-धीरे डिप्रेशन, तनाव या फिर स्ट्रेस जैसी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम के शिकार हो जाते हैं।
- अधिक तनाव या स्ट्रेस के समय कोर्टिसोल हार्मोन रिलीज होता है। जिसके बढ़ने से मॉर्निंग डिप्रेशन जैसी समस्या हो सकती है। बता दें कि यह हार्मोन दिनभर के एनर्जी लेवल को कंट्रोल करता है। इसके अलावा, कोर्टिसोल अधिक बढ़ जाने पर भी नींद की कमी हो सकती है।
- मेडिकल स्टडीज के मुताबिक, डिप्रेशन, सिजोफ्रेनिया और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों के ब्रेन में इंटरल्यूकिन-6 (IL-6) नामक सूजन पैदा करने वाले केमिकल के स्तर में बढ़ोतरी होती है। जिस कारण मॉर्निंग डिप्रेशन की स्थिति पैदा होती है।
- न्यूरोट्रांसमीटर्स जैसे कि सेरोटोनिन और डोपामाइन मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इन न्यूरोट्रांसमीटर्स के स्तर में असंतुलन अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का मुख्य कारक होता है। बता दें कि इसका लेवल कम होने से व्यक्ति में अवसाद, चिंता और नींद की समस्याएं हो सकती है।
बचाव
- मॉर्निंग डिप्रेशन की समस्या से निजात पाने के लिए आपको कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी, इंटरपर्सनल थेरेपी और साइकोथेरेपी लेना चाहिए। इनसे नेगेटिव थॉट पैटर्न को इम्प्रूव करने में मदद मिलती है, साथ ही मूड भी बेहतर होता है।
- समय पर सोना और उठना मॉर्निंग डिप्रेशन और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से छूटकारा दिलाता है। इसलिए कोशिश करें कि समय से सोए और 8 से 9 घंटे की नींद अवश्य लें। इससे सुबह उठकर आप एनर्जेटिक फील करेंगे।
- मॉर्निंग डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने के लिए सोने से कम से कम 30 मिनट पहले फोन बंद कर दें। कोशिश करें कि आपके आसपास की रोशनी कम हो, खासकर ब्लू लाइट की रोशनी को कम करके रखें। इससे नींद अच्छी आएगी।
- मॉर्निंग डिप्रेशन से छूटकारा पाने के लिए नियमित तौर पर व्यायाम करें। इसके अलावा, आप मेडिटेशन भी कर सकते हैं। अपनी लाइफस्टाइल में हेल्दी डाइट को शामिल करें। कोशिश करें कि शराब और सिगरेट से दूर रहें।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)