Khandwa News : खंडवा जिले में नए भाजपा जिला अध्यक्ष को लेकर संगठन में चर्चाओं का दौर जारी है। बूथ स्तर से लेकर जिला अध्यक्ष तक के चयन में विधायक, सांसद और उनके करीबी हमेशा से अपनी भूमिका निभाते आए हैं। हालांकि, संगठन ने हमेशा पट्ठावाद और गुटबाजी को नकारने की बात कही है, लेकिन व्यवहार में ऐसा होता हुआ कम ही दिखता है।
पिछले संगठन चुनाव में भी प्रबल दावेदारों को दरकिनार कर तत्कालीन सांसद नंदकुमार सिंह चौहान ने अपने प्रभाव से ओबीसी वर्ग के सेवादास पटेल को अध्यक्ष पद पर बैठा दिया था। इस बार खंडवा में नंदकुमार सिंह जैसे सर्वमान्य नेता का अभाव साफ नजर आता है। ऐसे में सवाल यह है कि इस बार “सत्तादास” कौन बनेगा?
जोड़तोड़ का दौर जारी
सत्तादास इसलिए, क्योंकि इस बार जोड़तोड़ की राजनीति चरम पर है। हाल ही में खंडवा में बिना किसी सूचना के 50 बूथ अध्यक्ष बनाए जा चुके हैं। इस बीच, प्रदेश के दिग्गज नेता और कैबिनेट मंत्री विजय शाह की भूमिका भी अहम हो सकती है। उनके खास समर्थक संतोष सोनी को वह हर बार निर्विवाद महामंत्री बनवाते रहे हैं।
अब तक एससी/एसटी को मौका क्यों नहीं?
अगर पुराने जिला अध्यक्षों की नियुक्तियों पर नजर डाली जाए, तो खंडवा जिला अध्यक्ष पद पर अब तक एससी/एसटी वर्ग से किसी को मौका नहीं दिया गया है। एससी/एसटी वर्ग के नेता अब इस पद पर अपना अधिकार जता रहे हैं और यह साबित करने में जुटे हैं कि एक बार उन्हें भी नेतृत्व करने का अवसर मिलना चाहिए। जिस प्रकार पिछली बार ओबीसी वर्ग ने संगठन के समक्ष एकजुट होकर अपनी मांग रखी थी, उसी प्रकार अब एससी/एसटी वर्ग भी अपनी आवाज बुलंद कर रहा है।
जातिगत समीकरण का प्रभाव
अब तक ओबीसी और सामान्य वर्ग को प्राथमिकता दी जाती रही है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस बार संगठन एससी/एसटी वर्ग पर भी गंभीरता से विचार कर सकता है। खंडवा जिला अध्यक्ष पद को लेकर जातिगत समीकरणों का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिख रहा है।
संभावित नामों की चर्चा
- इस बार जिला अध्यक्ष का पद हरसूद की तरफ जा सकता है, जहां विजय शाह की पकड़ मजबूत है। वहीं, खंडवा विधायक कंचन तनवे के करीबी नानूराम मंडले को भी मजबूत दावेदार माना जा रहा है।
- ओबीसी वर्ग की बात करें तो महापौर अमृता यादव के पति अमर यादव युवा और प्रभावशाली चेहरा हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार वे संगठन की राजनीति में रुचि नहीं रखते।
- सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल के गुट से भी एक दर्जन से अधिक नाम सामने आ रहे हैं, जिनमें अरुण सिंह मुन्ना, राजेश तिवारी, दिनेश पालीवाल, धर्मेंद्र बजाज, राजपाल सिंह तोमर, राजपाल चौहान (जसवाड़ी), और हरीश कोटवाले प्रमुख हैं।
अंतिम निर्णय का इंतजार
अब देखना यह है कि सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल किस नाम पर सहमति बनाते हैं और क्या इस बार संगठन गुटबाजी से बचकर किसी सर्वमान्य व्यक्ति को जिला अध्यक्ष बना पाता है। साथ ही, यह भी देखने योग्य होगा कि क्या एससी/एसटी वर्ग को इस बार नेतृत्व का मौका मिलता है या जातिगत समीकरण फिर से ओबीसी और सामान्य वर्ग के पक्ष में झुकते हैं। खंडवा की राजनीति में यह निर्णय आगामी राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित करेगा।
खंडवा से सुशील विधाणी की रिपोर्ट