Mental Health Tips : आजकल की भागदौड़ भरी इस जिंदगी में सोशल मीडिया से खुद को दूर रख पाना बेहद मुश्किल है और यही कारण है कि लोग धीरे-धीरे डिप्रेशन, एंजायटी या फिर स्ट्रेस जैसी गंभीर समस्याओं के शिकार होते चले जा रहे हैं। शुरुआती दिनों में लोग इसे बेहद आम समस्या समझते हैं, लेकिन समय के साथ-साथ यह गहरा होता चला जाता है, जिससे ऊबर पाना बेहद मुश्किल है। कई बार तो यह जानलेवा भी साबित हो जाता है। इसकी मुख्य वजह बदलती लाइफस्टाइल के साथ-साथ नींद की कमी, खराब स्वास्थ्य के अलावा इस पर ध्यान ना दिया गया तो आगे चलकर यह बहुत बड़ी समस्या बन सकती है। इससे आप काम में फोकस भी नहीं कर पाते और ना ही अपनी फैमिली को अच्छी तरह से चला पाने में सक्षम होते हैं। इसलिए अगर आप मेंटली फिट होना चाहते हैं, तो आज का आर्टिकल आपके बेहद कम आने वाला है क्योंकि आज हम आपको मानसिक रूप से स्वस्थ होने के कुछ आसान से टिप्स बताएंगे। जिन्हें फॉलो करके आप भी मानसिक रूप से स्वस्थ हो सकते हैं। दरअसल, आज हम आपको पालतू जानवरों के साथ रहने के फायदे बताएंगे। आइए जानते हैं विस्तार से…
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, पालतू जानवरों के साथ रहने से मोर्टेलिटी रेट 24% तक कम हो सकता है। साथ ही शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हॉर्मोन का स्तर कम करने और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसके अलावा, पालतू जानवर अकेलेपन के एहसास को भी कम कर सकते हैं और सामाजिक संपर्क को बढ़ाते हैं। यह हमारे मूड को बेहतर बनाता है।
फायदे
- एंग्जाइटी, स्ट्रेस दूर होता है।
- अकेलापन नहीं महसूस होता।
- आइसोलेशन या सामाजिक अलगाव नहीं महसूस होता।
- हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है।
- हार्ट हेल्थ बेहतर होती है।
- घरेलू पेट्स के साथ रहने वाले लोग लंबा जीते हैं।
- घरेलू पेट्स के साथ से बच्चों की इम्यूनिटी मजबूत होती है।
- बच्चों को एलर्जी, एक्जिमा और अस्थमा जैसी बीमारियां होने के चांस कम हो जाते हैं।
- पेट के साथ आपकी फिजिकल एक्टिविटी अपने आप बढ़ जाती है।
इन जानवरों को बनाएं दोस्त
- कुत्ता
- बिल्ली
- खरगोश
- बईस जैसे तोता और रंग-बिरंगी चिड़िया
- मछलियां
- गिनी पिग या हैम्सटर
- गाय, घोड़ा या बकरी
पालतू जानवरों के साथ समय बिताने से तनाव और रक्तचाप में कमी आती है। जब आप अपने पालतू जानवर को सहलाते हैं, तो इससे आपके शरीर में स्ट्रेस हॉर्मोन कोर्टिसोल का स्तर कम होता है और “हैप्पी हॉर्मोन” ऑक्सीटोसिन की मात्रा बढ़ती है। यह खासकर उन लोगों के लिए जरुरी है जो तनाव या चिंता का सामना कर रहे हैं।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)