KFT क्या है? किडनी की सेहत बनाए रखने के लिए जानें इसकी अहमियत

KFT का मतलब किडनी फंक्शन टेस्ट (Kidney Function Test) होता है। यह रक्त और मूत्र की जांचों का एक समूह होता है जो यह जानने में मदद करता है कि आपकी किडनी कितनी अच्छी तरह से काम कर रही है।

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KFT: किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो शरीर से विषैले पदार्थों को निकालता है। यह खून को छानकर अपशिष्ट को पेशाब के माध्यम से बाहर करता है। यदि किडनी ठीक से काम नहीं करती, तो शरीर में टॉक्सिन जमा हो सकते हैं, जिससे विभिन्न बीमारियां हो सकती हैं। समय पर इलाज न मिलने पर किडनी फेल हो सकती है, जिससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। किडनी में समस्या का पता लगाने के लिए डॉक्टर किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) कराते हैं।

क्या होता है KFT

KFT का मतलब किडनी फंक्शन टेस्ट या किडनी की कार्य जांच होता है। ये एक आसान टेस्ट है जो ये बताता है कि आपकी किडनी कितनी अच्छी चल रही हैं। हमारी किडनी शरीर का वो छन्ना है जो खून साफ करती है। खराब चीज़ों को वो पेशाब में बाहर निकाल देती है और जरूरी चीज़ों को शरीर में रहने देती है। KFT टेस्ट ये पता लगाता है कि किडनी अपना काम सही से कर रही है या नहीं। अगर किडनी कमज़ोर हो जाए तो वो खून साफ करने में दिक्कत करती है।

KFT किडनी की सेहत के लिए क्यों जरूरी है?

किडनी हमारे शरीर का वो फिल्टर है जो खून साफ करता है। KFT या किडनी फंक्शन टेस्ट एक आसान जांच है जो ये बताता है कि ये फिल्टर कितना अच्छा काम कर रहा है। KFT में खून या पेशाब की जांच करके ये पता लगाया जाता है कि शरीर का कचरा सही से साफ हो रहा है या नहीं। अगर किडनी कमजोर पड़ने लगे तो KFT जल्दी पता लगा सकता है ताकि डॉक्टर इलाज कर सकें। कई बीमारियों जैसे कि डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर से किडनी खराब हो सकती है, इसलिए डॉक्टर कभी-कभी KFT करवाने की सलाह देते हैं। घबराने की बात नहीं है, ये एक आसान सी जांच है।

KFT में किए जाने वाले मुख्य टेस्ट

1. ब्लड यूरिया नाइट्रोजन (BUN): यह रक्त में यूरिया नाइट्रोजन की मात्रा को मापता है। यूरिया नाइट्रोजन एक अपशिष्ट उत्पाद है जिसे किडनी द्वारा फ़िल्टर किया जाना चाहिए। यदि BUN का स्तर अधिक होता है, तो इसका मतलब हो सकता है कि किडनी ठीक से काम नहीं कर रही है। अगर कम होता है, तो यह कुपोषण या यकृत रोग का संकेत हो सकता है।

2. सीरम क्रिएटिनिन (Creatinine): यह रक्त में क्रिएटिनिन की मात्रा को मापता है। क्रिएटिनिन एक अपशिष्ट उत्पाद है जो मांसपेशियों द्वारा निर्मित होता है और किडनी द्वारा फ़िल्टर किया जाता है। अधिक क्रिएटिनिन का स्तर किडनी की बीमारी का संकेत हो सकता है। कम क्रिएटिनिन का स्तर मांसपेशियों के द्रव्यमान में कमी का संकेत हो सकता है।

3. ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (GFR): यह मापता है कि किडनी प्रति मिनट कितने रक्त को फ़िल्टर करती है। कम GFR किडनी की बीमारी का संकेत हो सकता है।

4. यूरिन एल्बुमिन-टू-क्रिएटिनिन रेशियो (UACR): यह मूत्र में एल्बुमिन (एक प्रकार का प्रोटीन) और क्रिएटिनिन की मात्रा के अनुपात को मापता है। अधिक UACR किडनी की बीमारी का संकेत हो सकता है।

डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।


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भावना चौबे

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