Candi Sukuh Temple of Indonesia: दुनिया में एक से बढ़कर एक और आश्चर्य कर देने वाली चीजें और जगह मौजूद है। कई जगह ऐसी है जो अपने अंदर इतिहास और अद्भुत संस्कृति को समेटे हुए हैं। कुछ स्थानों से अद्भुत और रोचक मान्यताएं जुड़ी हुई है जिन पर लोगों का गहरा विश्वास है।
समुद्र मंथन सनातन हिंदू संस्कृति की एक ऐसी पौराणिक कथा है जिसका वर्णन कई वेद और पुराणों में किया गया है। अब तक समुद्र मंथन की जो कहानी सभी ने सुनी है उसमें यही बताया जाता है कि देवता, रत्न, अमृत और कई सारी वस्तुएं समुद्र मंथन से ही निकली थी और इस से निकले हुए विश को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया था। इसके अलावा अमृत कलश को लेकर देवताओं और राक्षसों में जो युद्ध हुआ उसके बारे में भी आप सभी ने सुना ही होगा।
आज हम आपको इसी अमृत कलश से जुड़ी एक ऐसी जगह के बारे में बताते हैं जिसके बारे में कहा जाता है कि यह कलश इस मंदिर में मौजूद है। जी हां, इंडोनेशिया में एक ऐसा मंदिर स्थित है जहां समुद्र मंथन से निकले कलश के होने का दावा किया जाता है।
ऐसा है Candi Sukuh Temple
इंडोनेशिया के जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं उसका नाम कंडी सुकुह है और यह पूर्वी जावा प्रांतों की सीमा पर माउंट लावू की पश्चिम ढलान पर मौजूद है। समुद्र तल से 2990 फीट की ऊंचाई पर मौजूद इस प्राचीन मंदिर में एक ऐसा कलश मौजूद है जिसमें एक द्रव्य हजारों साल से भरा हुआ है।
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मंदिर में है अमृत कलश
मंदिर में जो कलश मौजूद है उसे लेकर यह मान्यता है कि इसमें भरा हुआ द्रव्य अमृत है जो अब तक सूखा नहीं है। साल 2016 में इंडोनेशिया के पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर की मरम्मत का काम शुरू किया था। तभी विशेषज्ञों को दीवार की नींव से तांबे का एक कलश मिला, जिसके ऊपर पारदर्शी शिवलिंग स्थापित था और कलश के अंदर एक द्रव्य भरा हुआ था।
जब इसका शोध किया गया तो यह बात सामने आई कि इस कलश को शिवलिंग से इस तरह से जोड़ा गया है कि कोई उसे खोल ना सके या ये कहें कि शिवलिंग को इस कलश में मौजूद अमृत की सुरक्षा के लिए बनाया गया है और सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाली बात यह थी कि जिस दीवार की नींव से यह कलश मिला था, उस पर समुद्र मंथन की नक्काशी और महाभारत के वर्णनों का उल्लेख किया गया था।
हिंदू राष्ट्र था इंडोनेशिया
बताया जाता है कि यह तांबे का कलश 1000 ईसा पूर्व का है, जबकि इस मंदिर का निर्माण 1437 ईसा पूर्व के आसपास हुआ था। बता दें कि एक समय इंडोनेशिया हिंदू राष्ट्र हुआ करता था लेकिन जब 15वीं सदी में इस्लाम का वर्चस्व फैला तो इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया। मंदिर से जुड़ी जो कहानियां प्रचलित है उनके मुताबिक जब इसे ध्वस्त किया गया उसी समय तांबे के कलश को मंदिर में छुपाया गया होगा।