एड्स के सफल इलाज का दावा, एक इंजेक्शन करेगा काम तमाम 

Gaurav Sharma
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डेस्क रिपोर्ट। इजराइल के वैज्ञानिकों ने भयावह और लाइलाज बीमारी एड्स का सफल इलाज खोजने का दावा किया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने वह वैक्सीन तैयार कर ली है जिसका एक डोज ही एड्स के वायरस का काम तमाम कर देगा।

एड्स को एक लाइलाज बीमारी माना जाता है और पूरी दुनिया में लगभग 3.79 करोड़ लोग एचआईवी संक्रमण की चपेट में है ।2017 में इस बीमारी के चलते लगभग 8 लाख लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि जागरूकता के चलते इस बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या में कमी आ रही है लेकिन उसके बावजूद इस का भय बना हुआ है। लेकिन अब इजराइल के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने जीन एडिटिंग से एक वैक्सीन तैयार कर ली है जिससे एड्स का इलाज संभव होगा। यह रिसर्च इजराइल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी की द जॉर्ज एस वाइस फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज ने की है।

दरअसल मानव की श्वेत रक्त में बी कोशिकाएं मौजूद होती है जो वायरस से लड़ने में मददगार होती है। वैक्सीन की मदद से बी कोशिकाओं को वैज्ञानिकों ने शरीर में ही तैयार करने में सफलता पाई है। वैज्ञानिकों का दावा है कि जीन एडिटिंग की मदद से टाइप बी व्हाइट ब्लड सेल्स का इस्तेमाल कर यह वैक्सीन तैयार की गई है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय करती है। इससे शरीर में एंटीबॉडी तैयार हो जाती है और यह एड्स को खत्म कर देती है। इस मामले में महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि वायरस अपना स्वरूप बदलता है तब बी कोशिकाएं भी बदल जाएंगी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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