25 हजार साल पुराना है कोरोना वायरस, स्टडी में किया गया दावा

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। साल 2019 के आखिर में लोगों को कोरोना वायरस (Corona virus) के बारे में पता चला और 2020 आते आते इसने दुनिया में कहर बरपाना शुरू कर दिया। सबने उम्मीद की थी कि 2021 में इससे निजात मिल पाएगी, लेकिन इस साल तो ये और मजबूती से आक्रमण कर रहा है। कोरोना वायरस ने दुनियाभर में लोगों का जीवन बदल दिया है और हर कोई अब इसके डर से सहमा हुआ है। लेकिन ये वायरस इतना नया भी नहीं है, हाल ही में हुई एक रिसर्च में पता चला है कि कोरोना वायरस 25 हजार साल पुराना है।

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यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना में हुई इस स्टडी के अनुसार ये बहुत पुराना खतरनाक वायरस है। पूर्वी एशिया में करीब 25 हजार साल पहले इसने तबाही मचाना शुरू कर दिया था। असिस्टेंट प्रोफेसर डेविड एनार्ड की मानें तो इस वायरस ने उस दौर में डेढ़ साल में करीब 30 लाख लोगों की जान ली थी। प्रोफेसर एनार्ड का कहना है कि मनुष्य की तरह वायरस भी पीढ़ी तर पीढ़ी अपने नए जीनोम (Genome) के जरिए विकास करते हैं। ये प्रक्रिया वायरस के अलावा हर तरह के पैथोजेन (Pathogens) यानी रोगजनकों के साथ होती है। सामान्य भाषा में कहें तो हर तरह के रोगाणु में पीढ़ियों के साथ बदलाव आता है ताकि वो स्थितियों के साथ सर्वाइव कर सके। इसमें जिनमें जल्द बदलाव आता है उसे म्यूटेशन (Mutation) और धीमे परिवर्तन को इवोल्यूशन (Evolution) कहते हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना की रिसर्च टीम ने दुनियाभर में 26 अलग स्थानों पर 2504 लोगों के जीनोम की स्टडी की। इसमें पता चला कि कोरोना वायरस की तरह के पैथोजेन इंसानी डीएनए में नेचुरल सिलेक्शन कर पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ते आए हैं। इस स्टडी से ये भी पता करने की कोशिश है कि आगे आने वाले समय में और किस तरह के वायरस आ सकते हैं या वो लोगों को किस तरह से संक्रमित करेंगे। प्रोफेसर डेविड एनार्ड की ये स्टडी bioRxiv पर प्रकाशित हुई है। अभी तक इसका Peer review नहीं हुआ है और साइंस जरनल में इसके प्रकाशन हेतु रिव्यू किया जा रहा है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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