टोक्यो। जापान इन दिनों अपने अजीबोगरीब फैसलों के कारण चर्चाओं में है। कभी वहां कार्यस्थल पर महिलाओं को अजीब निर्देश दे दिए जाते हैं और अब स्कूलों में भी इसी तरह के नियमों को लेकर छात्र-छात्राओं में गुस्सा पनप रहा है। यहां के ज़्यादातर स्कूल बोर्ड में जिन छात्राओं के बाल काले नहीं है, उन्हें घर भेजा जा रहा है। इतना ही नहीं छात्राओं को किस रंग के अंतर्वस्त्र पहनने चाहिए, छुट्टी लेने से दो महीने पहले स्कूल को सूचित करना चाहिए, छात्रों को बालों की लंबाई कितनी रखना चाहिए.. ये ताकीद भी स्कूलों द्वारा की जा रही है। इन अजीब नियमों के खिलाफ अब विद्यार्थियों ने मोर्चा खोल दिया है और मांग कर रहे हैं कि ‘ब्लैक कोसुकू’ परंपरा की पाबंदी से उन्हें मुक्ति दिलाई जाए। इनका कहना है कि अगर बोर्ड तत्काल इन पाबंदियों को नहीं हटाता है तो तो वे सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर जाएंगे।
आपको बता दें कि जापान अपने सख्त ड्रेस कोड के लिए दुनियाभर में जाना जाता है और यहां छात्रों के सड़कों पर किसी भी प्रकार के प्रदर्शन को लेकर पाबंदी है। इस मामले पर सरकार ने आश्वासन दिया है कि 2020 में नए सत्र से इस तरह की सभी पाबंदियों को खत्म कर दिया जाएगा। इन नियमों से सिर्फ छात्र ही नहीं अभिभावक भी परेशान है और कई लोगों ने तो इसकी शिकायत मानवाधिकार आयोग से भी की है। जापान में सार्वजनिक संस्थाओं में कर्मचारियों के लिए ड्रेस कोड लागू है। यहां पुरुषों को सूट और डार्क कलर के जूते वहीं महिलाओं को स्कर्ट के साथ हाई हील पहनना जरूरी है। लेकिन अब स्कूल हो या कार्यस्थल, सभी जगह इस तरह के फैसलों का कड़ा विरोध हो रहा है जिसे देखते हुए सरकार को भी इन्हें लचीला करने के लिए कदम उठाने पर रहे हैं।