125 साल से ‘गिरफ्तार’ है ये पेड़, पाकिस्तान में काट रहा है सजा, जानिए इस बेगुनाह पेड़ की कहानी

Tree Story

Tree arrested in Pakistan : अब तक आपने कई तरह के अपराध और सज़ा के बारे में सुना होगा। दुनिया के अलग अलग देशों में विभिन्न अपराधों के लिए कई तरह की सज़ा का प्रावधान है। वहीं रेयर ऑफ दर रेयरेस्ट केस में ऐसी सज़ाएं भी सुनाई गई हैं, जो मिसाल की तरह रही हैं। किसी भी सज़ा का उद्देश्य अपराधी को दंडित करने के साथ समाज में एक संदेश देना भी होता है कि ताकि अन्य लोग इसे लेकर सचेत रहें और अपराधों पर लगाम कसी जा सकें।

पेड़ की गिरफ्तारी

कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सज़ा निर्धारित की जाती है और इससे लोग भी सतर्क रहते हैं कि अगर उन्होने कानून तोड़ा या कोई जुर्म किया तो उन्हें सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है। लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि किसी पेड़ को गिरफ्तार किया गया हो और उसे सज़ा सुनाई गई हो। सज़ास्वरूप उसे ज़ंजीरों में बांधा गया हो और वो भी कोई दो चार या दस साल के लिए नहीं, बल्कि 125 साल तक।

ब्रिटिश अफसर की कारस्तानी

आज हम आपको अजीबोगरीब वाकया बताने जा रहे हैं। ये पेड़ पाकिस्तान के पेशावर में है। तोरखन बॉर्डर के पास लैंडी कोटाल नाम की बस्ती में पिछले 125 साल से ये पेड़ बिना किसी गुनाह के सज़ा काट रहा है। ऑडिटी सेंट्रल न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार इसके पीछे एक ब्रिटिश अफसर की सनक भरा फैसला है। दरअसल ब्रिटिश अधिकारी जेम्स स्क्विड ने एक दिन नशे की हालत में अपने सिपाहियों से कहा कि ये पेड़ बार बार भाग रहा है और उसकी पकड़ में नहीं आ रहा है, इसलिए उसे गिरफ्तार किया जाए। अब सिपाही हकीकत समझ रहे थे लेकिन वो एक अधिकारी के आदेश का पालन न करने की हिमाकत नहीं कर सकते थे। इसीलिए उन्होने इस पेड़ को ज़ंजीरों से बांध दिया। इसकेे बाद से 1899 से लेकर अब तक पेड़ उसी तरह ‘गिरफ्तार’ है।

कब मिलेगा इंसाफ

ये पेड़ अब भी ज़ंजीरों से बंधा हुआ है और उसपर एक तख्ती लटकी हुई है जो सारी कहानी बयां करती है। इसे देखने कई पर्यटक आते हैं वहीं स्थानीय लोग इसे ब्रिटिश अत्याचार का प्रतीक मानते हैं। हालांकि ब्रिटिश शासन को खत्म हुए भी अरसा बीत गया..भारत दो टुकड़ों में बंट गया और लोग अपनी अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ गए। लेकिन इस बेकसूर पेड़ को अब तक सज़ा से मुक्ति नहीं मिली है और वो अब भी गिरफ्तार है। यकीनन अगर पेड़ कुछ कह पाता तो अपने लिए इंसाफ मांगता। उम्मीद है किसी न किसी दिन कोई आएगा और इसे इतनी लंबी गिरफ्तारी से मुक्ति दिलाएगा।

125 साल से 'गिरफ्तार' है ये पेड़, पाकिस्तान में काट रहा है सजा, जानिए इस बेगुनाह पेड़ की कहानी


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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