Sun, Dec 28, 2025

शिक्षक भर्ती 2018: शिक्षा विभाग के अलग-अलग नियमों के भेंट चढ़ा हजारों युवाओं का भविष्य, कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित

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शिक्षा विभाग के नियमों और 27% ओबीसी आरक्षण के कारण अभी भी मध्यप्रदेश शिक्षक भर्ती 2018 के उम्मीदवारों का भविष्य अंधेरे में है। कई याचिकाएं कोर्ट में लंबित है।
शिक्षक भर्ती 2018: शिक्षा विभाग के अलग-अलग नियमों के भेंट चढ़ा हजारों युवाओं का भविष्य, कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित

MP Teacher Recruitment 2018: शिक्षक भर्ती 2018 जो पिछले 6 वर्षों में अनेक विसंगतियों के कारण चर्चा में रह चुकी है। हजारों युवाओं ने इस भर्ती परीक्षा के लिए लाखों रुपये और जीवन के कीमती समय की आहुति देकर सीधी भर्ती 2018 पास कर मेरिट में स्थान बनाया। लेकिन मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग ने बार-बार नियमों में बदलाव किया। जिसके कारण सीधी भर्ती मजाक बनकर रह गई। युवाओं का भविष्य अंधेरे में चला गया। कई उम्मीदवार आयु सीमा पार कर चुके हैं। किसी अन्य परीक्षा व नौकरी की तैयारी के लिए पात्र नहीं हैं।

मध्यप्रदेश शिक्षक भर्ती के लिए सितंबर 2018 में नोटिफिकेशन आया था। फरवरी 2019 में परीक्षा आयोजित हुई। 2021 में प्रथम काउंसलिंग का आयोजन किया गया। 17000 पदों में से 15000 पदों के लिए ही काउन्सलिंग करवाई गई थी। वहीं जनजाति कार्य विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग ने अलग-अलग काउंसलिंग का आयोजन् किया था।  जिसके कारण सैकड़ों अभ्यर्थियों के नाम दोनों विभागों में आए और किसी एक विभाग में ज्वाइनिंग लेने के कारण दूसरे विभाग के पद रिक्त रह गए। कई बार अभ्यर्थियों ने इस विषय में संबंधित विभाग को शिकायत भी की, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया।

6 वर्षों में भी पूरी नहीं हो पाई नियुक्ति (MP Teacher Recruitment 2018)

बाद में 2018 की भर्ती के लिए एक और चरण आयोजित किया गया। जिसे विभाग ने फ्रेश विज्ञप्ति का नाम दिया। इसके लिए कोई परीक्षा आयोजित नहीं की गई। शिक्षक भर्ती 2018 के अभ्यर्थियों से ही इस चरण की खानापूर्ति कर दी गई। जबकि इस अगले चरण में प्रथम चरण की जो पद रिक्त थे, उन्हें भी जोड़ा जाना था। कई हजार नियुक्तियों का दावा करने के बाद भी सरकार सीधी शिक्षक भर्ती 2018 से 2024 तक एक भर्ती में निकाले गए मात्र 17000 पदों आज तक नियुक्ति नहीं दे पाई।

कोर्ट में सैकड़ों याचिकाएं लंबित (MP News)

जब विभाग ने उम्मीदवारों की नहीं सुनी तो कई अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस मामले में शिक्षा मंत्री का बयान भी आया। उन्होनें कहा, “जिन लोगों नियुक्ति मिल गई वह खुश है और जिनको नहीं मिली वह कोर्ट चले गए।” उम्मीदवारों की शिकायत है कि जो नौकरी के हकदार थे, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ। विभाग की गलतियों की वजह से उन्हें नौकरी नहीं मिली।

ओबीसी आरक्षण के कारण भर्ती अभी भी होल्ड पर (MP 27% OBC Reservation)

कई आरक्षण से संबंधित याचिका माननीय न्यायालय में विचाराधीन है। जिसमें से ओबीसी आरक्षण 27% सबसे अहम मुद्दा है और दूसरा मुद्दा स्वर्ण वर्ग के लिए 10% आरक्षण। 15 अक्टूबर, 2024 को याचिका क्रमांक 30205-2023 की सुनवाई थी, जिसे जबलपुर न्यायालय की डबल बेंच का बार-बार यही कहना था की 2018 शिक्षक भर्ती का जब नोटिफिकेशन आया तब 10% ईडब्ल्यूएस नहीं था। क्योंकि यह 24 दिसंबर 2019 से लागू हुआ है। जबकि यह 10% पद प्रथम चरण की लिए नहीं मांगे जा रहे थे। यह पद 29 सितंबर 2022 की द्वितीय चरण के लिए मांगे जा रहे थे। परंतु यहां भी समझने में कहीं ना कहीं भूल हुई। बाकी कहना यह है कि यदि 2018 भर्ती में 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण नही था तो 27% ओबीसी आरक्षण भी नहीं था। दोनों आरक्षण दिसंबर 2019 में लागू किए गए। ओबीसी आरक्षण से संबंधित याचिकाएं भी उच्च न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक लंबित है। उम्मीदवारों का कहना है कि इस आधार पर सारे सबूत होने के बाद भी आज तक अनारक्षित कैटेगरी 13% पदों पर भर्ती को क्यों होल्ड किया गया और शिक्षक भर्ती 2018 में 12 विषयों में किस आधार पर 27% से ओबीसी वर्ग को नियुक्ति दी गई।