हेल्थ, डेस्क रिपोर्ट।Health News. तबियत जरा बिगड़ी नहीं कि डॉक्टर (Doctor) अलग अलग टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। कई बार तो खुद ही ये डर घर कर जाता है कि कहीं कोई तकलीफ तो नहीं।हर बार खुद को ये समझाने के लिए कि आप सेहतमंद है बार बार टेस्ट (Health Test) करवाना तो संभव नहीं है, ऐसे में क्यों न घर पर ही खुद अपनी जांच करें।
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कुछ ऐसे आसान टेस्ट जो चंद सेकंड में आपको ये संकेत जरूर दे देंगे कि आपके शरीर में कुछ तो असामान्य है। हालांकि गंभीर स्थिति होने पर डॉक्टरी जांच करना और डॉक्टर की सलाह मानना ही उचित होता है। गाहे बगाहे कुछ आसान टेस्ट करके शरीर में आ रहे बदलावों को जरूर समझा जा सकता है।
पहला टेस्ट
- अपनी मुट्ठी को कस कर बांधिए। ये मुट्ठी ऐसे बांधने की है कि उंगलियों का जोर हथेली पर पड़े।
- ऐसा खेल खेल में कई बार आपने किया भी होगा।
- जिस जगह उंगली का जोर पड़ता है उस जगह हथेली का रंग एकदम सफेद हो जाता है।
- आपको नोटिस ये करना है कि हथेली का रंग कितनी देर में सामान्य अवस्था में लौट रहा है।
- हथेली का रंग बदलने की वजह ब्लड फ्लो कम होना होता है।
- ब्लड फ्लो कम होने से ही हथेली सफेद दिखती है।
- अगर हथेली जल्द अपने सामान्य रंग में नहीं लौटती तो ये आर्टेरियो सोरोसिस की शुरूआत हो सकती है।
- इसमें दिल से शरीर तक ऑक्सीजन और न्यूट्रीशन ले जाने वाली नसें मोटी और सख्त हो जाती हैं।
दूसरा टेस्ट
- पहले टेस्ट में आपने हथेली पर दबाव बनाया था अब आपको अपने नाखूनों पर दबाव बनाना है।
- नाखूनों को पांच सेकंड तक दबाकर रखें फिर छोड़ दें।
- तीन सेकंड में नाखून को अपने सामान्य रंग में लौट आना चाहिए।
- इसमें दिलचस्प बात ये है कि हर उंगली का नाखून अलग अलग रोग का संकेत देता है।
- ये टेस्ट अंगूठे के साथ करते हुए अगर आफको दर्द भी हो तो ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि सांस से जुड़ी कोई तकलीफ हो सकती है।
- इंडेक्स फिंगर डाइजेशन से जुड़ी समस्या की तरफ इशारा करती है या फिर बड़ी आंत में भी कोई तकलीफ हो सकती है।
- मिडिल फिंगर यानि सबसे बड़ी उंगली और उसके बगल वाली रिंग फिंगर में अगर टेस्ट के दौरान कुछ असमान्यता दिखे तो ये कार्डियोवस्क्यूलर डिसीज का इशारा हो सकती है।
- सबसे छोटी उंगली छोटी आंत में तकलीफ का इशारा करती है।
तीसरा टेस्ट
- इस टेस्ट को करने के लिए आप को जमीन पर औंधे यानि कि मुंह के बल लेटना है।
- हाथों को आगे की ओर खींचिए और पैरों को ऊपर उठाने की कोशिश कीजिए।
- जितना हो सके पैरों को उतना ऊपर उठाएं और तीस सेकंड तक इसी पॉजिशन में रहें।
- इस दौरान अगर आपको कुछ मुश्किल होती है तो समझिए कि रीढ़ की हड्डी में या पेट में कुछ तकलीफ हो सकती है।