नैनीताल की खूबसूरत नैनी झील हमेशा ही पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है। इसी झील में यह दो खूबसूरत पेड़ मौजूद है जो पानी और सतह के बीच आपसी सामंजस्य और प्रेम को दर्शाते हैं। अक्सर यह पेड़ जोड़े में पाए जाते हैं जिस वजह से इन्हें लैला मजनू नाम दिया गया है। ये देखने में बहुत आकर्षक होते हैं और झील की सुंदरता को बढ़ाते हैं।
जोड़े में रहते हैं Laila Majnu Tree
नैनीताल की नैनी झील में इन खूबसूरत पेड़ों को झील की सुंदरता बढ़ाने के लिए लगाया गया है। बसंत ऋतु में जब इन पर हरे और पीले रंग के फूल खिलते हैं तो इनकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। इन पेड़ों का बॉटनिकल नाम सैलिक्स बेबीलोनिका है।
शाखाएं झुकी होने की वजह से इस पेड़ को वीपिंग विलो भी कहा जाता है। झुकती हुई टहनियों झील के पानी को छूती है जो सतह और पानी के बीच प्रेम दर्शाता है इसलिए इनका नाम लैला मजनू पेड़ पड़ा है।
दर्द कम करते हैं लैला मजनू पेड़
नैनीताल की नैनी झील के बड़ी संख्या में इस पेड़ के जोड़ लगे हुए है। यूरोप में इसकी कई तरह की प्रजातियां पाई जाती हैं। दांत दर्द के साथ अन्य पेन किलर में भी इसकी जड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। ये एक मेडिसिनल प्लांट है जो कई चीजों में उपयोग किया जाता है।
रोते हैं दोनों पेड़
लैला मजनू सैलीसेसी दीवार के पेड़ हैं, जो पानी के किनारे नमी वाली जगहों पर पाए जाते हैं। 30 से 50 फीट तक की ऊंचाई वाले यह पेड़ बहुत घने होते हैं। इसकी पत्तियां पतली और नुकीली होती है।
बड़ा और घना होने के चलते इसकी शाखाएं पूरी तरह से झुक जाती है। इस कारण से जब इसकी पत्तियों पर बारिश का पानी पड़ता है और फिसलते हुए दिखता है, तब ऐसा लगता है कि ये पेड़ रो रहा है। नैनी झील का दीदार करने आने वाले पर्यटकों को इन पेड़ों की खूबसूरती अनायास ही आकर्षित करती है।