Popular Food: किसी भी व्यक्ति से अगर यह पूछा जाए कि भारत में उसे सबसे अच्छा खाना कहां पर मिल जाएगा? तो जाहिर सी बात है कि जवाब देने वाला और सुनने वाला दोनों ही कंफ्यूज हो जाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में कोई एक ऐसी जगह नहीं है, जहां पर आपको स्वादिष्ट व्यंजन का आनंद लेने को मिलेगा बल्कि यहां के हर राज्य, शहर, गांव और कस्बे में आपको लाजवाब व्यंजन खाने को मिल जाएंगे।
अब भारत में एक राज्य से दूसरे राज्य में जाएंगे तो आपको संस्कृति, परंपरा, रहन-सहन और बोली का अंतर देखने को मिलेगा। यह अंतर खानपान में भी नजर आता है लेकिन जो स्वाद होता है वह हमेशा ही लोगों का दिल जीत लेता है। सिक्किम भारत के प्रसिद्ध राज्यों में से एक है। यहां पर आपको व्यंजनों का अनूठा स्वाद चखने को मिलेगा। यहां पर नेपाली, तिब्बती और भूटानी व्यंजनों का मिश्रण मिलता है। चलिए आज हम आपके यहां के कुछ स्वादिष्ट व्यंजनों के बारे में बताते हैं जो आपको जरूर खाना चाहिए।
सिक्किम के प्रसिद्ध व्यंजन (Popular Food)
थेंकुक
यह एक नूडल सूप है जो सिक्किम का सबसे प्रसिद्ध व्यंजनों में से एक है। इसे बनाने में चिकन, मटन, सब्जी और गेहूं के आटे का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आप शाकाहारी हैं तो इसका वेजीटेरियन वर्जन खा सकते हैं, जिसमें चिकन मटन का उपयोग नहीं किया जाता। सिक्किम के लोगों के बीच यह काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।
खाप्सी
यह एक बहुत ही लाजवाब व्यंजन है, जिसे तली हुई पेस्ट्री कहा जा सकता है। यह खाने में मीठी और नमकीन होती है। इस विशेष अवसरों पर तैयार किया जाता है और विवाहों के मौके पर एक खास तौर पर बनाई जाती है। इन्हें आकर्षक आकृतियों में तैयार किया जाता है और ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए रंग डाले जाते हैं।
वाचिपा
यह एक पारंपरिक सिक्किम व्यंजन है। इसे चावल और कीमा से तैयार किया जाता है। दरअसल इसमें कड़वे दामलापा के पौधे की पत्ती और फूल भी डाले जाते हैं। कुछ जगह से मांस का उपयोग ना करते हुए शाकाहारी भी बनाया जाता है।
बांस करिल करी
बांस की टहनियां जो जमीन से बाहर निकलती हैं और खाने योग्य होती है, उनके जरिए यह पारंपरिक व्यंजन बनाया जाता है। इसे बेहतर बनाने के लिए करी में हल्दी और अन्य मसाले डाले जाते हैं। स्थानीय लोगों के बीच यह काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। इसे चावल के साथ परोसा जाता है।
सिंकी
यह बहुत ही स्वादिष्ट भोजन है जिसे मूली की जड़ का उपयोग कर बनाया जाता है। मूली की जड़ को काटकर बांस के कंटेनर में रखा जाता है। तकरीबन 1 महीने तक यह पौधों और मिट्टी से ढका रहता है। धीरे-धीरे से पकने के लिए छोड़ दिया जाता है और फिर सूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसे परांठे के साथ भी खाया जा सकता है।