भोपाल, डेस्क रिपोर्ट । “रूद्र “भगवान शिव का नाम है और उन्हीं उन्हीं के आंसू से बना एक वन औषधि “रुद्राक्ष” है । वही रुद्राक्ष जिसे पंडित ,पुजारी , अघोरी अपने गले में पहनते हैं। बड़े-बड़े भूरे रंग , और मोतियों जैसी गोल वस्तु को रुद्राक्ष कहते हैं । वैसे तो धार्मिक तौर पर रुद्राक्ष का बहुत ज्यादा महत्व होता है , लेकिन क्या आपको पता है कि स्वास्थ्य के लिए भी रुद्राक्ष बहुत ज्यादा गुणकारी होता है । इससे रक्त भार में कमी आती है और बुखार शुगर में हृदय रोग किस समय भी इसका प्रयोग। रुद्राक्ष का प्रयोग सुंदरता बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।
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सुंदरता बढ़ाने के लिए रुद्राक्ष और अर्जुन छाल का बारीक पाउडर तैयार करके उसमें शहद मिलाकर चेहरे पर उबटन की तरह इस्तेमाल करने की सलाह आयुर्वेद में बताया गया है। चंदन की तरह घिसकर भी लगाया जा सकता है । रुद्राक्ष के सेवन से बुखार के समय होने वाली बेचैनी दूर होती है। रुद्राक्ष का प्रयोग मधुमेह ( शुगर) के मरीज भी जामुन के पत्तों के साथ कर सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार सांस लेने की समस्या का समाधान भी रुद्राक्ष के चूर्ण से किया जा सकता है। रुद्राक्ष के चूर्ण का पानी के साथ सेवन करना बहुत ज्यादा लाभकारी बताया गया है। रुद्राक्ष का सेवन दूध के साथ मिलाकर करने से रक्त भार कम हो जाता है और इसके सेवन से हृदय रोग भी ठीक होने की संभावनाएं होती हैं। इसके अलावा रुद्राक्ष का प्रयोग आयुर्वेद के अनुसार श्वेतकुष्ठ , एसिडिटी , वातरोग , कैंसर , बच्चों की बीमारियां , मोटापा और आंखों से जुड़ी बीमारियों के दौरान भी होता है। आयुर्वेद के अनुसार बच्चों के सीने में कफ होने की समस्या यदि सामने आती है तो रुद्राक्ष को शहद के साथ मिलाकर देने से बच्चे को बहुत ज्यादा आराम मिलता है।