Basant Panchami 2023 : बसंत पंचमी पर करें विद्या और संगीत की देवी की आराधना, इन मंत्रों के जाप से मिलेगा पुण्य

Basant Panchami 2023 : आज बसंत पंचमी है। ये पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि आज ही के दिन ज्ञान, संगीत और कला की देवी सरस्वती अवतरित हुई थीं। आज मां सरस्वती की विधिवत पूजा का विधान है। इसीलिए इसे सरस्वती पूजा भी कहा जाता है। इसी के साथ आज के दिन अक्षर अभ्यासम, विद्या आरंभ जैसे संस्कार भी किए जाते हैं।

बेहद शुभ है आज का दिन

बसंत पंचमी को साल के कुछ विशेष शुभ काल में होने के कारण ‘अबूझ मुहूर्त’ भी माना जाता है।  आज के दिन बिना मुहूर्त देखे शादी ब्याह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार, भवन निर्माण जैसे शुभ कार्य किए जा सकते हैं। आज देवी लक्ष्मी का जन्म भी हुआ था इसीलिए इस दिन को श्री पंचमी भी कहा जाता है। आज सुबह पवित्र नदी में स्नान कर मां सरस्वरी की पूजा करने से विशेष पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है। मान्यतानुसार मां सरस्वती का आह्वान कर कलश स्थापना और फिर विधिवत पूजा की जाती है। सरस्वती मां के एक हाथ में वीणा है और कथा अनुसार जब उन्होने वीणा बजाई तभी पृथ्वी के सभी जीवों को वाणी मिली। इसीलिए उन्हें संगीत की देवी भी कहा जाता है और उनके वागेश्वरी, वीणी वादिनी, भगवती, मां शारदा, वाग्देवी जैसे अनेक नाम है।

इन मंत्रों का जाप करें

वे विद्या और बुद्धि की देवी हैं इसलिए आज कलम, किताब तथा वाद्य यंत्रों की पूजा भी होती है। मान्यता है कि आज शिक्षा और संगीत से संबंधित वस्तुओं की पूजा से भी व्यक्ति को लाभ होता है। आज पीले वस्त्र पहने जाते हैं और माता को भी पीली खाद्य वस्तुओं का भोग लगाया जाता है। देवी सरस्वती की पूजा करने के बाद गरीब और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त वितरित करें। आज के दिन घर में मोरपंखी का पौधा लाना शुभ माना जाता है। इसी के साथ कोई वाद्य यंत्र भी खरीदा जा सकता है। नया घर या वाहन खरीदने का विचार है तो आज का दिन उसके लिए बिल्कुल सही है। मान्यता है कि आज खरीदी गई वस्तुओं से घर में बरकत आती है। आज से बसंत ऋतु का आरंभ है इसलिए आज पेड़ों की कटाई छंटाई बिल्कुल नहीं करना चाहिए। आज तामसिक खाद्य पदार्थों से दूर रहें और अपनी वाणी पर नियंत्रण रखे तथा किसी को अपशब्द न कहें। देवी सरस्वती की पूजा के समय इनमें से किसी एक मंत्र का जाप करने से वे प्रसन्न होती हैं।

  • या कुंदेंदु-तुषार-हार-धवला, या शुभ्रा – वस्त्रावृता,
    या वीणा – वार – दण्ड – मंडित – करा, या श्वेत – पद्मासना।
    या ब्रह्माच्युत – शङ्कर – प्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दित,
    सा मां पातु सरस्वती भगवती नि: शेष – जाड्यापहा।।
  • ऐं क्लीं सौः॥
  • ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः॥
  • वद वद वाग्वादिनी स्वाहा॥
  • वद वद वाग्वादिनी स्वाहा॥
  • ऐं वाग्देव्यै विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
  • अर्हं मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम्कारी। वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा॥

(डिस्क्लेमर – ये लेख धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। इसे लेकर हम कोई दावा नहीं करते)


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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