हड्डियों से आती है कटकट की आवाज, लापरवाही छोड़ तुरंत करें ये काम

Gaurav Sharma
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जीवनशैली, डेस्क रिपोर्ट। अक्सर पैर मोड़ते समय या फिर हाथ मोडते समय आपको हड्डियों के चटकने की आवाज जरूर आती होगी, खासतौर से बढ़ती उम्र के लोगों को कट कट की आवाज अक्सर सुनाई देती है। लोग अक्सर इसे गठिया का दर्द मानकर घरेलू इलाज शुरू कर देते हैं। दरअसल उम्र के साथ जोड़ों में मौजूद कुछ कार्टिलेज खराब होने लगते हैं, जिसकी वजह हड्डियां चटकने की आवाज आती है। चलिए जानते हैं किन कारणों से बोन क्रेकिंग या फिर पॉपिंग की आवाज आती है और इस आवाज को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है।

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कट कट की आवाज का कारण
इसके कई कारण हो सके हैं। कार्टिलेज का कमजोर होना एक महत्वपूर्ण वजह है पर ज्वाइंट का कसाव कम होना भी एक वजह हो सकती है। इसके अलावा जोड़ों के बीच का लिक्विड कम होने से भी ज्वाइंट में हरकत होने पर ऐसी आवाज आती है।

उंगलियां चटकाने से बाज आएं
कुछ लोगों को हाथों की उंगलियां चटकाने की आदत होती है, जब तक सारी उंगलियों से चट चट की आवाज न आ जाए लोगों को चैन नहीं पड़त। ऐसे लोगों को उंगलियां चटकाने की आवाज से बाज आना चाहिए। बता दें ये आदत आगे चलकर बढ़ती उम्र में परेशानी का कारण बनती है।

वर्कआउट करें
एक उम्र के साथ फिजिकली एक्टिव रहना बहुत जरूरी है। अगर आप कोई ऐसा काम करते हैं जिसमें लंबे समय तक बैठे रहना है या एक ही जगह पर एक ही पॉजिशन में रहना है तो आपके लिए वर्कआउट करना बहुत ही जरूरी है। अक्सर ऐसा न करने पर हड्डियां जाम होने लगती हैं और जब अचानक उनमें हलचल होती है तब उनसे क्रेकिंग की आवाज आती है।

स्ट्रेचिंग करें
सिर्फ जोड़ ही नहीं पूरे शरीर की मांसपेशियों के लिए स्ट्रेचिंग बहुत आवश्यक है। नियमित रूप से स्ट्रेचिंग से जुड़ी एक्टिविटिज करने पर आपको शरीर में हल्कापन भी लगेगा और मसल्स से लेकर ज्वाइंट तक सभी में लचीलापन भी होगा।

टेंशन लेना कम करें
कुछ लोगों की आदत होती है जब उन्हें किसी काम का टेंशन होता है या फिर वो बहुत सोच विचार करते हैं तब उंगलियां चटकाते है। दूसरे जोड़ों में भी यही पेटर्न नजर आता है। अगर आपकी हड्डियां भी आसानी से चटकती हैं तो ये इस बात का संकेत है कि आप टेंशन कम से कम लें क्योंकि इसका असर सिर्फ आपके दिमाग पर ही नहीं आपकी बोन्स पर भी पड़ रहा है।

डिस्क्लेमर : दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न जगहों से ली गई है MPBreakingNews इसकी पुष्टि नहीं करता है। बिना चिकित्सक के परामर्श के कोई भी निर्णय न लें।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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