MP News : कांग्रेस की पोस्टर राजनीति के बाद आया उमा भारती का जवाब, कही यह बात

उमा भारती

इंदौर/भोपाल, आकाश धोलपुरे/डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में 1 अप्रैल से नई शराब निति लागू हो जाएगी जिसके तहत शराब 20 प्रतिशत तक सस्ती होगी। शिवराज सरकार की नई शराब निति का विरोध कांग्रेस ने शुरू कर दिया है। इंदौर में तो कांग्रेस अब बीजेपी सरकार की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की खोज में निकल गई है। हालांकि, विरोध का रंग सियासी पारा कितना बढ़ाएगा ये तो वक्त ही बतायेगा लेकिन कांग्रेस नई शराब निति को लेकर सरकार को घेरते नजर आ रही है।
विरोध के चलते ही इंदौर में कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के गायब होने के पोस्टर लगा दिए। कांग्रेस के मुताबिक शराब बंदी की घोषणा कर उमा भारती गायब हो गई है वही शिवराज सरकार ने घर घर शराब दुकान खोलने की नई निति बनाकर प्रदेश को शराब के नशे में झोंक दिया है।

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कांग्रेस की पोस्टर की राजनीति के बाद मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती का जवाब सामने आया है। सबसे पहले तो उमा भारती ने अपने गंगा अभियान में संलग्न होने की बात कही और बताया कि चूँकि वे इस अभियान में संलग्न थी इसी कारण मध्य प्रदेश में पूर्णं शराबबंदी और नशाबंदी अभियान प्रारम्भ करने में उन्हें कठिनाई रही साथ ही उन्होने स्पष्ट किया कि किसी भी अभियान को सफल बनाने के लिए जनभागीदारी की ज़रूरत होती है, पर कोरोना के नए वेरिएंट के चलते अभी यह संभव नहीं हो सकता। इसके अलावा अभियान कि सफलता के लिए राजनीतिक निरपेक्ष लोगों की भागीदारी की भी ज़रूरत होती है जो अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।