Dopamine Detox : क्या आप भूल रहे हैं वास्तविक आनंद, इंस्टेंट खुशी दे रही है आपको मानसिक थकान, जानिए क्या होता है डोपामाइन डिटॉक्स

सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट करने के बाद क्या आप भी पल पल नोटिफिकेशन देखते हैं। क्या आप जानते हैं कि इन लाइक्स, कमेंट और नोटिफिकेशन से मिलने वाला डोपामाइन स्पाइक हमें बार-बार स्क्रीन देखने के लिए मजबूर करता है। इससे हमारी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता घटती है और वास्तविक दुनिया से जुड़ाव कम हो जाता है। क्या आप जानते हैं कि खुशी के हार्मोन डोपामाइन के असंतुलन से हम वास्तविक खुशी महसूस करने से दूर होते जा रहे हैं।

dopamine detox आपका स्क्रीन टाइम कितना है ? आज के डिजिटल युग में हम जान ही नहीं पाते कि हमारे समय का कितना हिस्सा इन गैजेट्स की भेंट चढ़ गया है। अक्सर घंटों हम अपने मोबाइल या लैपटाप की स्क्रीन पर आंखें गढ़ाए बिता देते हैं। खासकर, सोशल मीडिया ने तो हमारा स्क्रीन इंगेजमेंट कई गुना ज्यादा कर दिया है। सोशल मीडिया स्क्रॉल करने में जो इंस्टेंट खुशी मिलती है..वो किसी नशे से कम नहीं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, यूट्यूब और टिक-टॉक जैसे प्लेटफॉर्म्स का लगातार लंबे समय तक उपयोग हमारे मस्तिष्क के डोपामाइन सिस्टम को प्रभावित कर रहा है। इससे मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। अब आप कहेंगे कि डोपामाइन तो खुशी का हार्मोन है, फिर भला इससे क्या समस्या हो सकती है। लेकिन जवाब है कि गंभीर समस्या हो सकती और यही कारण है कि आजकल डोपामाइन डिटॉक्स की ज़रूरत बढ़ती जा रही है।

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डोपामाइन का असंतुलन और इसके दुष्प्रभाव

इस डिजिटल युग में लोग लगातार सोशल मीडिया, वीडियो गेम, जंक फूड, ओटीटी प्लेटफॉर्म और instant gratification देने वाली गतिविधियों में खोए रहते हैं। लेकिन ये हमारी मानसिक सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है। इस कारण यह मस्तिष्क में डोपामाइन का असंतुलन पैदा हो सकता है जिससे ध्यान भटकना, मानसिक थकान, और मोटिवेशन  की कमी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती है। इन्हीं दुष्प्रभावों से बचने के लिए डोपामाइन डिटॉक्स की ज़रूरत पड़ती है ताकि मस्तिष्क का प्राकृतिक संतुलन बना रहे।

क्या है Dopamine Detox

डोपामाइन डिटॉक्स एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति कुछ समय के लिए उन गतिविधियों से दूरी बना लेता है जो उसे अत्यधिक आनंद और इन्स्टेंट संतुष्टि देती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य मस्तिष्क में डोपामाइन के असंतुलन को सुधारना और दिमाग को रीसेट करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार डिजिटल डिवाइस, अनावश्यक सोशल मीडिया स्क्रॉलिंग, जंक फूड, वीडियो गेम और अन्य तेज़ी से आनंद देने वाली आदतें दिमाग को इस हद तक प्रभावित कर सकती हैं कि व्यक्ति धीरे-धीरे वास्तविक जीवन की खुशी महसूस करना कम कर देता है। इससे तनाव, चिंता, अनिद्रा और प्रोडक्टिविटी में कमी जैसी कई समस्याएं जन्म ले सकती हैं।

कैसे करें डोपामाइन डिटॉक्स

डोपामाइन डिटॉक्स करने के लिए सबसे पहले स्क्रीन से दूरी बनाना जरूरी है। आपको कुछ समय के लिए सोशल मीडिया, वीडियो गेम और मनोरंजन ऐप्स से परहेज करना होगा। इससे मस्तिष्क को अनावश्यक dopamine stimulation से बचाया जा सकता है। इसके साथ ही, जंक फूड से बचना भी जरूरी है क्योंकि स्वस्थ और प्राकृतिक भोजन मस्तिष्क और शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। आप इस दौरान कुछ प्राकृतिक गतिविधियों में खुद को बिजी करें जिससे डोपामाइन संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी। नियमित रूप से सैर पर जाना, ध्यान और योग करना, किताबें पढ़ना, बागवानी करने जैसी आदतें मानसिक शांति प्रदान करती है। डोपामाइन डिटॉक्स के दौरान एकांत में समय बिताना भी बेहद लाभदायक होता है, क्योंकि इससे व्यक्ति अपने बारे में सोच समझ सकता है।

डोपामाइन डिटॉक्स के लाभ

डोपामाइन डिटॉक्स मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर कई सकारात्मक प्रभाव डालता हैं। यह व्यक्ति की मानसिक स्पष्टता को बढ़ाता है, जिससे उसकी सोचने-समझने की क्षमता में सुधार होता है और वह बेहतर निर्णय लेने में सक्षम होता है। जब व्यक्ति त्वरित आनंद देने वाली आदतों से दूर रहता है, तो उसमें धैर्य और आत्मनियंत्रण विकसित होता है, जिससे वह अधिक अनुशासित बनता है। इसके अलावा, डोपामाइन डिटॉक्स प्रोडक्टिविटी में वृद्धि करता है। आपकी कार्यक्षमता सुधरती है और आप वास्तविक खुशी को महसूस कर पाते हैं।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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