5-6 साल के बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए अपनाएं ये आसान Parenting Tips, रखें इन बातों का ध्यान

Parenting Tips: 5-6 साल की उम्र बच्चों के आत्मविश्वास को मजबूत बनाने का एक महत्वपूर्ण समय होता है। इस उम्र में बच्चों के मन में नई चीज़ों को सीखने और खुद को साबित करने की उत्सुकता होती है। माता-पिता की सही मार्गदर्शन और प्रोत्साहन से बच्चे अपने आप में भरोसा करना सीखते हैं, जो उनके भविष्य के लिए एक मजबूत आधार बनाता है।

भावना चौबे
Published on -
Parenting Tips

Parenting Tips: आत्मविश्वास एक ऐसा गुण है जो जीवन में बड़ी चुनौतियों का सामना करने की ताकत रखता है और इसके नींव बचपन से ही रखी जाती है। बच्चों में आत्मविश्वास का विकास माता-पिता के सही मार्गदर्शन और प्रेरणा से होता है। बच्चों को आत्मविश्वास से भरपूर बनाने के लिए माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनकी किसी बात या व्यवहार से बच्चे का आत्मसम्मान आहत न हो।

आत्मविश्वास और प्रोत्साहन का आपस में गहरा संबंध है जो बच्चे को उसके छोटे बड़े अच्छे कामों के लिए सराहा जाता है तो उसका खुद पर विश्वास धीरे-धीरे बढ़ता है। माता-पिता जब अपने बच्चों की क्षमता पर विश्वास दिखाते हैं तो वही विश्वास बच्चे का आत्मविश्वास बन जाता है। बच्चों को यह समझाना की गलतियां भी सीखने का हिस्सा है उसे निर्णय लेने और प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है।

बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने का सरल तरीका

छोटे कामों में भागीदारी

कुछ माता-पिता सोचते हैं कि बच्चों को घर के कामों में शामिल करने से उनकी पढ़ाई पर असर पड़ेगा, लेकिन यह सच नहीं है। बच्चों को छोटे-छोटे कामों में भागीदार बनना उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है। जैसे कि अपने बर्तन खुद सिंक में रखना या कपड़े धोते समय मशीन पर ध्यान देना और सही समय पर बटन घुमाना। इस तरह के छोटे-छोटे कामों में सहयोग करने से बच्चे आत्मनिर्भर बनते हैं और खुद पर उनका विश्वास भी बढ़ता है।

प्रयास की सराहना करें

जब छोटा बच्चा नया काम शुरू करता है, तो गलतियां होना स्वाभाविक है। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चे की प्रक्रिया पर ध्यान दें, न कि केवल परिणाम पर। जब बच्चा कोई काम ठीक से पूरा कर लेता है, तो उसकी प्रशंसा करें, ताकि उसे अपनी मेहनत पर गर्व महसूस हो। यदि काम में कोई गलती हो जाए तो उसे सकारात्मक तरीके से समझाएं कि उसने अच्छा प्रयास किया है और वह अगली बार इसे और बेहतर कर लेगा।

गलतियों से सीखने दें

बच्चे गलतियों से सीखते हैं इसलिए उन्हें गलतियां करने का मौका देना जरूरी है। अगर माता-पिता गलतियों पर बार-बार डांटते हैं या सख्ती करते हैं, तो बच्चा काम करने से कतराने लगता है। जिससे उसके आत्मविश्वास और विकास में बाधा आ सकती है। गलतियों पर ध्यान देकर बच्चों से बात करें, उसे समझाएं कि गलती कहां हुई है, ताकि वह अगली बार सावधानी से काम करें।

 


About Author
भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

Other Latest News