Gardening Tips: एलोवेरा के पौधे की रुक गई है ग्रोथ, तो हो सकते हैं यह कारण, वक्त रहते जान लें निवारण

Gardening Tips: एलोवेरा एक रसीला पौधा है जो अपनी औषधीय और कॉस्मेटिक गुणों के लिए जाना जाता है। यह पौधा उगाना आसान है, लेकिन कभी-कभी यह बढ़ना बंद कर सकता है। अगर आपका एलोवेरा का पौधा नहीं बढ़ रहा है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।

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Gardening Tips: बहुत लोगों को गार्डनिंग करने का शौक होता है। अपने इस शौक के चलते लोग अपने घर का एक हिस्सा गार्डन में तब्दील कर देते हैं या फिर गार्डन और छत पर तरह-तरह के पौधे लगाते हैं। लेकिन कुछ पौधे ऐसे भी होते हैं जिनकी बेहद देखभाल करने के बावजूद भी वे मुरझा जाते हैं या फिर सुख जाते हैं। इन्हीं पौधों में से एक है एलोवेरा का पौधा। एलोवेरा एक रसीला पौधा है जिसका अर्थ है कि यह अपने पत्तियों में पानी जमा करता है। यह इसे सूखे वातावरण में जीवित रहने में मदद करता है। अगर आप भी अपने एलोवेरा के पौधे की अच्छी देखभाल करते हैं लेकिन इसके बावजूद भी उसकी ग्रोथ नहीं हो पा रही है या फिर उसके पत्ते पीले पड़ गए हैं, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जो आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे। साथ ही साथ हम आपको बताएंगे यह भी बताएंगे कि इस समस्या का क्या निवारण किया जा सकता है, तो चलिए जानते हैं।

किन कारणों की वजह सुख जाता एलोवेरा का पौधा

1. पर्याप्त मात्रा में पानी न देना

कई बार एलोवेरा के पौधे के ख़राब होने के पीछे का यह मुख्य कारण हो सकता हैं, एलोवेरा को न ज्यादा पानी की जरुरत होती हैं न कम पानी के जरुरत होती हैं। बल्कि उसे पर्याप्त पानी की जरुरत होती हैं। एलोवेरा को बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। यह सूखे को सहन कर सकता है, लेकिन पानी की कमी से इसकी पत्तियां पीली और मुर्झाई हुई हो सकती हैं। यदि आपका एलोवेरा का पौधा सूखा दिख रहा है, तो उसे थोड़ा पानी दें। दूसरी ओर, यदि आप एलोवेरा को बहुत अधिक पानी देते हैं, तो इससे जड़ सड़ सकती है। जड़ सड़ने से पौधे की पत्तियां भूरी और मुलायम हो सकती हैं। यदि आपको लगता है कि आपने अपने एलोवेरा को बहुत अधिक पानी दिया है, तो इसे सूखने दें और फिर कम पानी दें।

2. सूरज की रोशनी न मिलना

एलोवेरा को बढ़ने के लिए पर्याप्त प्रकाश की आवश्यकता होती है। यदि इसे पर्याप्त प्रकाश नहीं मिलता है, तो इसकी पत्तियां पतली और पीली हो सकती हैं। यदि आपका एलोवेरा का पौधा कम रोशनी वाली जगह पर है, तो उसे अधिक रोशनी वाली जगह पर ले जाएं।

3. तापमान में उतार-चढ़ाव

एलोवेरा गर्म और शुष्क जलवायु में पनपता है। यदि इसे बहुत अधिक ठंड या गर्मी मिलती है, तो यह बढ़ना बंद कर सकता है। यदि आपका एलोवेरा का पौधा बहुत ठंडी जगह पर है, तो उसे गर्म जगह पर ले जाएं। यदि आपका एलोवेरा का पौधा बहुत गर्म जगह पर है, तो उसे छाया में रखें।

एलोवेरा की अच्छी ग्रोथ के लिए रखें इन बातों का ध्यान

1. अपने एलोवेरा को अच्छी तरह से सूखा मिट्टी में लगाएं।
2. अपने एलोवेरा को हर दो हफ्ते में एक बार उर्वरक दें।
3. अपने एलोवेरा को मृत पत्तियों से मुक्त रखें।
4. अपने एलोवेरा को कीटों और रोगों से बचाएं।
5. यदि आप इन सुझावों का पालन करते हैं, तो आपका एलोवेरा का पौधा निश्चित रूप से स्वस्थ और खुशहाल होगा।

एलोवेरा को किस प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता होती है?

एलोवेरा को अच्छी तरह से सूखा मिट्टी की आवश्यकता होती है। यह मिट्टी रेत, पिट मॉस और पेर्लाइट का मिश्रण हो सकती है।मिट्टी पानी को जल्दी से निकालने में सक्षम होनी चाहिए, ताकि एलोवेरा की जड़ें सड़ें नहीं। मिट्टी में हवा के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए, ताकि जड़ों को सांस लेने में मदद मिल सके। मिट्टी ढीली होनी चाहिए, ताकि जड़ें आसानी से फैल सकें। मिट्टी में एलोवेरा के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व होने चाहिए।

एलोवेरा को कितनी बार पानी देना चाहिए?

एलोवेरा को हर दो हफ्ते में एक बार पानी देना चाहिए। यदि आपका एलोवेरा गर्म और शुष्क जलवायु में है, तो आपको इसे अधिक बार पानी देना पड़ सकता है।गर्मियों में – हर 7-10 दिन में एक बार पानी दें। सर्दियों में – हर 2-3 हफ्ते में एक बार पानी दें।

एलोवेरा को किस प्रकार के उर्वरक की आवश्यकता होती है?

एलोवेरा को एक संतुलित उर्वरक की आवश्यकता होती है। आप किसी भी सामान्य उर्वरक का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन सुनिश्चित करें कि इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम का अनुपात 10-10-10 हो।

एलोवेरा को मृत पत्तियों से मुक्त क्यों रखना चाहिए?

मृत पत्तियां पौधे को बीमार कर सकती हैं। इसलिए, उन्हें नियमित रूप से हटाना महत्वपूर्ण है। मृत पत्तियां एलोवेरा के पौधे के लिए हानिकारक हो सकती हैं। वे फंगल रोगों के लिए प्रजनन स्थल बन सकती हैं, और वे पौधे को सूर्य के प्रकाश और पोषक तत्वों को अवशोषित करने से रोक सकती हैं।

एलोवेरा को कीटों और रोगों से कैसे बचाएं?

कीटनाशक साबुन: आप कीटनाशक साबुन का उपयोग करके एफिड्स, स्केल और अन्य कीटों को नियंत्रित कर सकते हैं।
नीम का तेल: नीम का तेल एक प्राकृतिक कीटनाशक है जो कई प्रकार के कीटों को नियंत्रित करने में प्रभावी है।
लेडीबग्स: लेडीबग्स एफिड्स का एक प्राकृतिक शिकारी हैं। आप अपने एलोवेरा के पौधे पर लेडीबग्स छोड़ सकते हैं ताकि वे एफिड्स की आबादी को नियंत्रित कर सकें।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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