इतिहास गवाह है, जब समाज जाति, पाखंड और अंधविश्वास के जाल में उलझा हुआ था, तब एक प्रकाश पुंज ने जनमानस को सच्चाई, समानता और प्रेम का संदेश दिया। वो प्रकाश थे गुरु नानक (Guru Nanak) देव जी, जिनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने 500 साल पहले थे। गुरु नानक देव जी ने न केवल सिख धर्म की नींव रखी, बल्कि मानवता को एक नई दृष्टि दी काम करो, नाम जपो और वंड छको। उनके उपदेश सिर्फ धार्मिक ग्रंथों तक सीमित नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए हैं जो जीवन में उलझनों, तनाव या असंतुलन का सामना कर रहा है।
1. “नाम जपो”

गुरु नानक देव जी का पहला और सबसे प्रमुख संदेश था नाम जपो, यानी हर समय प्रभु का स्मरण करना। उनके अनुसार, जब मनुष्य ईश्वर के नाम में लीन हो जाता है, तो उसके भीतर का अहंकार समाप्त हो जाता है और जीवन में स्थिरता आती है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जब मन विचलित रहता है, तब यह उपदेश और भी सार्थक हो जाता है। नाम जपना सिर्फ पूजा-पाठ नहीं, बल्कि यह एक माइंडफुलनेस प्रैक्टिस है, जहां हर सांस में हम खुद को ईश्वर से जोड़ते हैं। जब आप हर दिन कुछ मिनट प्रभु का स्मरण करते हैं, तो आपके विचार शुद्ध होते हैं, तनाव कम होता है और आत्मबल बढ़ता है।
2. “किरत करो”
गुरु नानक देव जी ने कहा था कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। जो व्यक्ति ईमानदारी, मेहनत और लगन से काम करता है, वही सच्चे अर्थों में धर्म का पालन करता है। उनका यह संदेश आज की पीढ़ी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जहां शॉर्टकट और जल्दी सफलता की चाह हर किसी को भटका रही है। गुरु जी कहते हैं, जो व्यक्ति अपने हाथों से मेहनत करता है और दूसरों के साथ बांटता है, वही सच्चा भक्त है। काम करते समय नतीजों की चिंता मत करो। क्योंकि जो व्यक्ति किरत करो के मार्ग पर चलता है, उसे कभी किसी के आगे झुकना नहीं पड़ता।
3. “वंड छको”
“वंड छको” का अर्थ है जो भी आपको प्राप्त हो, उसका हिस्सा दूसरों के साथ बांटें। गुरु नानक देव जी ने सिखाया कि जब हम अपनी कमाई या संसाधन जरूरतमंदों के साथ साझा करते हैं, तो न केवल समाज में संतुलन आता है, बल्कि हमारे भीतर का अहम भी समाप्त होता है। आज के समय में जब लोग स्वार्थ और प्रतिस्पर्धा में खो गए हैं, यह उपदेश मानवता का मूल बनकर उभरता है। वह कहते थे, जिसके घर में सबके लिए जगह है, वहीं सच्चा धनवान है। सिर्फ संपत्ति जमा करने में नहीं, बल्कि दूसरों की मदद करने में ही असली समृद्धि छिपी है। यह उपदेश आज की युवा पीढ़ी को सेल्फ सेंट्रिक जीवन से बाहर निकालकर सेवा भावना की ओर प्रेरित करता है।
4. “सब में एक”
गुरु नानक देव जी का चौथा उपदेश मानवता की नींव है, सब में एक, एक में सब। उनका कहना था कि ईश्वर हर प्राणी, हर मनुष्य और हर जीव में वास करता है। इसलिए, किसी से नफरत करना या भेदभाव करना, खुद ईश्वर का अपमान करना है। आज जब समाज जाति, धर्म और वर्ग के नाम पर बंटा हुआ है, गुरु नानक देव जी की यह सीख पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गई है। उन्होंने कहा था, ना कोई हिंदू, ना कोई मुसलमान सब एक ही परमात्मा के बच्चे हैं। जब हम दूसरों को उसी दृष्टि से देखते हैं जैसे खुद को देखते हैं, तब जीवन में शांति, प्रेम और एकता का जन्म होता है।










