वेट लॉस के लिए साइकलिंग या स्किपिंग क्या है बेहतर? चुनें सही एक्सरसाइज

साइकिलिंग और स्किपिंग दोनों ही वेट लॉस के लिए बेहद प्रभावी एक्सरसाइज है, बहुत लोग इन दोनों एक्सरसाइज में कंफ्यूज रहते हैं। इसी कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए हम आपको बताएंगे कि आप साइकलिंग या स्किपिंग दोनों में से क्या चुन सकते हैं।

Bhawna Choubey
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Health: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग खुद का ख्याल अच्छे से नहीं रख पाते हैं, बिगड़ी लाइफस्टाइल और अनहेल्दी फूड के सेवन से लोगों को कई प्रकार की समस्याओं से गुजरना पड़ता है, इन्हीं समस्याओं में से एक है वजन का ज्यादा बढ़ जाना।

वजन घटाने के लिए लोग आजकल ना सिर्फ आहार का पालन करने लगे हैं, बल्कि वर्कआउट को भी अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने लगे हैं। ऐसे में देखा जाता है कि वजन कम करने के लिए साइकलिंग और स्किपिंग दोनों ही बहुत अच्छी एक्सरसाइज मानी जाती है। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर लोग इन दोनों चीजों में से किसी एक चीज को ही करना चाहे तो इन दोनों में से बेहतर क्या रहेगा।

वेट लॉस के लिए साइकलिंग या स्किपिंग क्या है बेहतर?

दरअसल, स्किपिंग और साइकलिंग दोनों ही एक्सरसाइज वेट लॉस के लिए फायदेमंद मानी जाती है। स्किपिंग एक हाई इंटेंसिटी वर्कआउट माना जाता है जो कम समय में ज्यादा कैलोरी बंद करने में मदद करता है।

वहीं, साइकलिंग एक लो इंपैक्ट वर्कआउट है, जो जोड़ों पर कम दबाव डालते हुए लंबी अवधि तक किया जा सकता है। यह कार्डियो सेहत को सुधारने में मदद करता है। साथ-साथ पैरों की मसल्स को भी मजबूत बनाने में मदद करता है। अगर आपके पास समय काम है, और आप जल्दी वेट लॉस करना चाहते हैं, तो ऐसे में स्किपिंग को ज्यादा बेहतर माना जा सकता है। वहीं, अगर आप वेट लॉस धीरे-धीरे करना चाहते हैं लॉन्ग टाइम वर्कआउट करना चाहते हैं तो ऐसे में साइकलिंग एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है।

साइकिल चलाना और स्किपिंग दोनों ही वेट लॉस के लिए बहुत अच्छी एक्सरसाइज मानी जाती है, लेकिन इनकी कैलोरी बर्निंग कैपेसिटी में बहुत अंतर होता है। अगर आपको कम समय में ज्यादा कैलोरी बर्न करनी है तो स्किपिंग एक ऑप्शन हो सकता है। साइकिलिंग में 300-800 कैलोरी बर्न हो सकती है। जबकि 15 मिनट की स्किपिंग में 200-300 कैलोरी बर्न हो सकती है।

साइकलिंग और स्किपिंग दोनों ही मसल्स टोनिंग और स्ट्रैंथ बढ़ाने के लिए बेहतरीन एक्सरसाइज है, लेकिन इनका असर अलग-अलग हिस्सों पर होता है। साइकलिंग का फायदा पैरों, पिंडलियों, जांघों और ग्लूट्स को मिलता है। वही, स्किपिंग पूरी बॉडी को टोन करती है, जिसमें हाथों, कंधे, कोर और पैर भी शामिल होते हैं। अगर आप पूरी बॉडी को टोन करना चाहते हैं, तो ऐसे में स्किपिंग ज्यादा फायदेमंद हो सकती है।

अगर आपको घुटने या अन्य जॉइंट से जुड़ी समस्याएं हैं, तो आप अभी-अभी वर्कआउट शुरू कर रहे हैं, तो ऐसे में साइकलिंग एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। स्किपिंग एक हाई इंपैक्ट एक्सरसाइज है, जो आपकी हड्डियों और जॉइंट्स को मजबूत करने में मदद कर सकती है। लेकिन इसे करते समय सावधानी न बरती जाए तो घुटने पर चोट भी लग सकती है।

क्या है बेहतर?

अब सवाल यह उठता है, कि साइकलिंग और स्किपिंग में किसे चुनना चाहिए। इसका जवाब यह है, कि यह हर व्यक्ति के अपने ऊपर डिपेंड करता है। अगर आप एक लो इंपैक्ट कार्डियो की तलाश में है, जिसे आप लंबे समय तक आराम से कर सकें, तो साइकलिंग आपके लिए अच्छा ऑप्शन हो सकता है। वहीं अगर आपके पास समय की कमी है और आप एक हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करना चाहते हैं, जिसे करने में कम जगह की जरूरत लगे, तो आप ऐसे में स्किपिंग को अपना सकते हैं। दोनों ही एक्सरसाइज के अपने-अपने फायदे और नुकसान है।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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