Holi 2024: होली रंगों का त्यौहार हैं, ये सिर्फ रंगों और मस्ती का ही त्यौहार नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा त्यौहार है जो भाईचारे और प्रेम का प्रतीक भी है। होली के दिन लोग एक-दूसरे पर रंग डालकर अपनी खुशी और उमंग का इजहार करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली का त्यौहार मंदिरों में भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है? जी हाँ, भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जहाँ होली का त्यौहार बड़े ही अनोखे और विशेष तरीके से मनाया जाता है। अगर आप भी इस बार होली के त्यौहार को बड़ी ही धूमधाम और अनोखे तरीके से मनाना चाहते हैं तो आपको इन मंदिरों का दीदार जरूर करना चाहिए। इसी के साथ चली जान लेते हैं कि वह मंदिर कौन-कौन से हैं जहां होली के अवसर पर अलग ही धूम देखने को मिलती है।
कौन-कौन से मंदिरों में धूमधाम से मनाई जाती है होली
1. बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर होली के त्यौहार के लिए सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहां होली का त्यौहार “लठमार होली” के नाम से जाना जाता है। इस दिन भक्त रंगों और लठियों से होली खेलते हैं।
2. द्वारकाधीश मंदिर, द्वारका
द्वारकाधीश मंदिर, द्वारका में स्थित, होली के त्यौहार के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां होली का त्यौहार “फूलों की होली” के नाम से जाना जाता है। इस दिन भक्त एक दूसरे पर फूलों की वर्षा करते हैं।
3. प्रेम मंदिर, वृंदावन
वृंदावन में स्थित प्रेम मंदिर होली के त्यौहार के लिए भी जाना जाता है। यहां होली का त्यौहार “रंगों की होली” के नाम से जाना जाता है। इस दिन भक्त एक दूसरे पर रंगों की वर्षा करते हैं और भक्ति गीतों का गायन करते हैं।
4. जगन्नाथ मंदिर, पुरी
पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर होली के त्यौहार के लिए भी जाना जाता है। यहां होली का त्यौहार “चंदन यात्रा” के नाम से जाना जाता है। इस दिन भक्त भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को चंदन का लेप लगाते हैं।
5. रंगजी मंदिर, वृंदावन
वृंदावन में स्थित रंगजी मंदिर होली के त्यौहार के लिए भी जाना जाता है। यहां होली का त्यौहार “रंगों की होली” के नाम से जाना जाता है। इस दिन भक्त एक दूसरे पर रंगों की वर्षा करते हैं और भगवान रंगजी को रंगों से सजाते हैं।
6. गोविंद देवजी मंदिर, जयपुर
जयपुर में स्थित गोविंद देवजी मंदिर होली के त्यौहार के लिए भी जाना जाता है। यहां होली का त्यौहार “रंगों की होली” के नाम से जाना जाता है। इस दिन भक्त एक दूसरे पर रंगों की वर्षा करते हैं और भगवान गोविंद देवजी को रंगों से सजाते हैं।