Jaya Kishori: ग़ुस्सा एक ऐसी आग है जो पहले आपके अपने विवेक को जलाती है, फिर दूसरों की रिश्तों को झुलसा देती है। कुछ लोग इस भावना को समझाकर शांत हो जाते हैं, तो कुछ क्रोध में आकर ऐसे फ़ैसले ले बैठते हैं जिनका पछतावा उन्हें ज़िंदगी भर होता है। ज्योतिषशास्त्र में ऐसा कहा गया है, की अत्यधिक क्रोध करने वालों का मंगल ग्रह प्रभावित होता है। जिससे ना सिर्फ़ जीवन में संघर्ष बढ़ते हैं, बल्कि कई तरह की गंभीर बीमारियां भी पैदा हो सकती है।
दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जिन्हें छोटी छोटी बातों पर बेहद ग़ुस्सा आता है। ऐसे में सवाल यह उठता है, कि ग़ुस्से पर क़ाबू कैसे पाया जाए? प्रसिद्ध कथावाचक का चयन किशोरी ने इसका एक बेहतरीन समाधान बताया है, जो ना सिर्फ़ का मन को शांत करता है बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी भर देता है। आइए इस बारे में विस्तार से समझते हैं।

ग़ुस्से में क्या करती हैं जया किशोरी?
जया किशोरी बताती है, नहीं मुझे हमेशा मेरी मर्ज़ी से ग़ुस्सा आता है। वे कहती है कि मैंने अपनी ज़िंदगी का रिमोट कंट्रोल ख़ुद के हाथ में रखा है, मैं किसी को इतना अधिकार नहीं देती हूँ कि कोई मुझे ग़ुस्सा दिला सके और अपनी मनमर्ज़ी का काम करवा सके। जया किशोरी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि मुझे ग़ुस्सा नहीं आता है मुझे बहुत ग़ुस्सा आता है, मैं रोती भी हूँ, मैं उदास भी होती हूँ, लेकिन फिर मैं शांत हो जाती है। वे कहती है कि मैं ग़ुस्से में कभी भी किसी से बात करना पसंद नहीं करती हूँ, मैं शांत रहती हूँ, मेरा ग़ुस्सा अपने आप ठंडा हो जाता है।
ग़ुस्से को शांत करने के लिए क्या करना चाहिए?
जय किशोरी कहती है कि ग़ुस्से को कंट्रोल करने का सबसे अच्छा तरीक़ा यही है कि जब भी ग़ुस्सा आए तो शांत हो जाओ, क्योंकि कई बार पाँच मिनट के ग़ुस्से में पाँच साल का रिश्ता ख़राब हो जाता है। अगर कोई ग़ुस्से में शांत रहता है, तो इसका यह मतलब नहीं है कि वह कमज़ोर है या फिर उसके पास बोलने के लिए कुछ नहीं है, सुशांत इसलिए है क्योंकि वो नहीं चाहता कि कुछ पल के ग़ुस्से की वजह से, उसका रिश्ता किसी के साथ भी ख़राब हो। इसलिए जब तक दिमाग़ ठंडा न हो जाएं, हाँ फिर ग़ुस्सा न उतर जाए, तब तक बात नहीं करनी चाहिए।