Amazing Cold Weather Facts : सर्दियों का मौसम है और ठंड से बचने के लिए सब अपने अपने तरीके आजमा रहे हैं। हम एक गर्म जलवायु वाले देश में रहते हैं और कुछ ही समय की ठंड हमें परेशान कर देती है। लेकिन दुनिया में कई स्थान ऐसे हैं जहां अधिकांश समय ठंड रहती है और बर्फबारी भी होती है। ऐसे में यहां के लोग, पेड़ पौधे और अन्य जीव जंतु क्या मैकेनिज्म अपनाते हैं। खुद को सुरक्षति रखने के लिए इनके क्या प्रयास होते हैं, ये क्या उपाय आजमाते हैं। ऐसी कई बातें है, जो लोगों को बहुत कम पता होती हैं। आज हम ठंड से जुड़ी कुछ ऐसी ही रोचक बातें जानेंगे।
आपको ये बात रोमांचित कर सकती है कि पिछले हिमयुग (Last Glacial Maximum) के दौरान पृथ्वी का औसत वैश्विक तापमान आज के मुकाबले लगभग 6°C (11°F) कम था। ये लगभग 20,000 साल पहले की बात है जब पृथ्वी के ज़्यादातर हिस्सों में बर्फ की मोटी परतें मौजूद थीं। खासकर उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया के बड़े हिस्से ग्लेशियर से ढंके थे। उस समय समुद्र का स्तर भी आज की तुलना में 120 मीटर (400 फीट) कम था, क्योंकि समुद्र के पानी का बड़ा हिस्सा बर्फ के रूप में जमा हुआ था।
ठंड से जुड़े दिलचस्प तथ्य
सर्दी के मौसम में स्कैंडिनेवियाई देशों में छुट्टी लेने और “हाइज” (Hygge) का चलन है। जिसमें लोग गर्म और आरामदायक माहौल बनाने पर ध्यान देते हैं। इसमें कंबल में बैठकर किताब पढ़ना या मोमबत्ती जलाकर आराम करना शामिल है। “हाइज” एक डेनिश शब्द है, जिसका मतलब आरामदायक, खुशहाल और मन को पसंद आने वाला वातावरण बनाने से है। इन देशों में लोग सर्दियों में अपने घरों में ऐसा ही सुकूनदेह माहौल बनाते हैं, गर्म चाय या कॉफी पीते हैं, कंबल में लिपटकर किताबें पढ़ते हैं या परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं। आइए ठंड से जुड़े ऐसे ही कुछ और दिलचस्प बातें जानते हैं :
1. फ्रॉस्ट क्वेक : अत्यधिक ठंड के दौरान जमीन में मौजूद पानी जमकर बर्फ बन जाता है और इसका विस्तार होता है। इससे जमीन में दरारें आ जाती हैं, जो तेज़ आवाज़ वाले “फ्रॉस्ट क्वेक” (Crफ्रॉस्ट क्वेकyoseism) के रूप में महसूस होती हैं। ये एक दिलचस्प और दुर्लभ प्राकृतिक घटना है जो बहुत अधिक ठंड के दौरान होती। यह प्रक्रिया दरारों और भूकंपीय हलचल का कारण बन सकती है, जिससे अचानक तेज़ आवाज़ होती है और इसी को “फ्रॉस्ट क्वेक” कहा जाता है। यह घटना विशेष रूप से कनाडा और उत्तरी अमेरिका के ठंडे क्षेत्रों में आम है, जहां सर्दी बहुत ज्यादा होती है।
2. दुनिया का सबसे ठंडा स्थान : अंटार्कटिका का तापमान 2018 में -98°C तक गिरा, जो अब तक का सबसे ठंडा दर्ज किया गया तापमान है। यहां का वातावरण इतना ठंडा है कि नमी तक जम जाती है। यहां ठंड इतनी तीव्र है कि अगर आप बिना सुरक्षा के वहां खड़े हो जाएं, तो सांस लेते समय नाक और गले में बर्फ जम सकती है।
3. दुनिया का सबसे ठंडा रहवासी स्थान : ओइमयाकोन (Oymyakon) रशिया को दुनिया का सबसे ठंडा गांव माना जाता है। यह रूस के साईबेरिया क्षेत्र में स्थित है, और यहां का तापमान कभी -67.7°C (-89.9°F) तक गिर चुका है, जो पृथ्वी पर किसी भी बसा हुआ स्थान का अब तक का सबसे कम तापमान है। इस गांव को “पृथ्वी के सर्द बसा हुए स्थान” के रूप में जाना जाता है।
4.. आइस फिश और उनकी एंटीफ्रीज क्षमता : अंटार्कटिक महासागर में रहने वाली “आइस फिश” नामक मछली अपने खून में एक विशेष एंटीफ्रीज प्रोटीन विकसित करती है, जो इसे ठंडे पानी में जमने से बचाता है। यह प्रोटीन खून में बर्फ के क्रिस्टल बनने से रोकता है, जिससे मछली -1.9°C तक के तापमान में जीवित रह सकती है। ये मछलियां अत्यधिक ठंडे पानी में अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए बेहद धीमी गति से ऊर्जा का उपयोग करती हैं, जो उनके शरीर को अत्यधिक ठंड में जमने से बचाता है।
5. फ्रॉस्ट हेयर : सर्दियों में कुछ विशेष प्रकार के फंगस के कारण पेड़ों पर “फ्रॉस्ट हेयर” (Frost Hair) उगते हैं। एक अद्भुत प्राकृतिक घटना है जो ठंडे और नमी वाले मौसम में होती है, विशेष रूप से सर्दियों में। यह घटना तब होती है जब कुछ विशेष प्रकार के फंगस या अन्य सूक्ष्मजीवों के कारण पेड़ों की शाखाओं और पौधों पर बर्फ के महीन धागों जैसी संरचनाएँ उग आती हैं।
6. इग्लू का विज्ञान : बर्फ से बने इग्लू बाहर से ठंडे लेकिन अंदर से गर्म होते हैं। बर्फ के भीतर कैद हवा इन्सुलेटर का काम करती है, जिससे इग्लू के अंदर का तापमान 0°C तक बना रहता है, भले ही बाहर का तापमान -40°C हो। बर्फ खुद एक अच्छा इन्सुलेटर होती है क्योंकि यह हवा को अपने भीतर कैद कर लेती है। यह हवा बर्फ के भीतर trapped रहती है और बाहरी ठंडी हवा को इग्लू के अंदर प्रवेश करने से रोकती है।
7. अधिक सोने की प्रवृत्ति : ठंड के मौसम में लोग ज्यादा सोने की आदत डाल लेते हैं। कम दिन की रोशनी और मेलाटोनिन (नींद का हार्मोन) के बढ़े स्तर की वजह से लोग अधिक थकान ((Winter Lethargy)) महसूस करते हैं और ज्यादा सोते हैं। अध्ययन बताते हैं कि सर्दियों में इंसान “मिनी-हाइबरनेशन” की स्थिति में चला जाता है। यह जीवविज्ञान का एक स्वाभाविक तरीका है, जिसमें शरीर अपनी ऊर्जा बचाने के लिए ज्यादा आराम करने की प्रवृत्ति दिखाता है।