Chaitra Navratri 2024: इस वक्त देशभर में चैत्र नवरात्रि का त्यौहार मनाया जा रहा है। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हो चुकी है और इसका समापन 17 अप्रैल से होगा। नवरात्रि के दौरान भक्तजन 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करते हैं। आज नवरात्रि का सातवां दिन है, और आज का दिन मां काली को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां काली भक्तों की रक्षा और दुखों को दूर करने के लिए भूलोक पर आती है। मां की कृपा से भक्तों को हर शुभ कार्य में सफलता मिलती है, बिगड़े हुए काम बन जाते हैं, विवाह में आ रही समस्याएं भी दूर हो जाती है। ऐसे में अगर आप भी मां काली को प्रसन्न करने के लिए चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का सोच रहे हैं तो पूजा के दौरान आपको कुछ मत्रों का जाप भी अवश्य करना चाहिए।
माता काली की पूजा का महत्व
माता काली, जिन्हें देवी काली, पराशक्ति और महाकाली के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में शक्ति, विनाश और अनुग्रह की देवी हैं। वे अंधकार और बुराई पर प्रकाश और अच्छाई की विजय का प्रतीक हैं। माता काली को बुराई का विनाश करने वाली देवी माना जाता है। उनकी पूजा करने से भक्तों को नकारात्मक ऊर्जाओं, बुरी आत्माओं और भय से मुक्ति मिलती है। माता काली शक्ति और आत्मविश्वास की देवी हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को आंतरिक शक्ति, साहस और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। माता काली को मोक्ष की देवी भी माना जाता है। उनकी पूजा करने से भक्तों को मृत्यु के चक्र से मुक्ति और मोक्ष प्राप्त होता है।
माता काली दयालु और करुणामयी देवी हैं। वे अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। माता काली भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि की देवी हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को धन-दौलत, सुख-समृद्धि और ज्ञान प्राप्त होता है।
माता काली की पूजा कैसे करें
1. माता काली की पूजा किसी भी शुभ दिन या शुक्रवार के दिन की जा सकती है।
2. पूजा करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
3. एक आसन पर बैठकर अपनी आँखें बंद कर लें।
4. मां काली की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप जलाएं।
5. धूप जलाएं और फूल, फल और मिठाई अर्पित करें।
6. मां काली के मंत्रों का जप करें।
7. आरती गाएं।
8. मां काली से अपनी मनोकामना प्रार्थना करें।
किन मंत्रों का करना चाहिए जाप
।। ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हलीं ह्रीं खं स्फोटय क्रीं क्रीं क्रीं फट ।।
ह्रौं काली महाकाली किलिकिले फट् स्वाहा॥
ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं॥
”ॐ हरिं श्रीं कलिं अद्य कालिका परम् एष्वरी स्वा:”
“ॐ महा काल्यै छ विद्यामहे स्स्मसन वासिन्यै छ धीमहि तन्नो काली प्रचोदयात”
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)