Chaitra Navratri : हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्यौहार का विशेष महत्व है। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हो चुकी है। नवरात्रि के नौ दिनों तक माता रानी के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। आज 10 अप्रैल है और आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। इस दिन भक्तजन विधि विधान से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करते हैं और माता ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय भी करते हैं। अगर आप भी आज के दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करने जा रहे हैं तो आपको पूजा के दौरान कुछ मत्रों का जाप और आरती अवश्य करनी चाहिए। इसी के चलते आज हम आपको इस लेख के द्वारा बताएंगे कि मां ब्रह्मचारिणी को किस चीज का भोग अत्यंत प्रिय है।
मां ब्रह्मचारिणी को किस चीज का लगाएं भोग
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह भोग मां को प्रसन्न करने के साथ-साथ घर-परिवार में सुख-समृद्धि भी लाता है। सबसे पहले, एक स्वच्छ कटोरी में शक्कर रखें। इसके बाद, घी का दीपक जलाकर मां ब्रह्मचारिणी को भोग अर्पित करें। धूप और नैवेद्य भी अर्पित करें। अंत में, मां ब्रह्मचारिणी की आरती उतारें और मंत्र का जाप करें। भोग लगाने के बाद, प्रसाद को घर के सभी सदस्यों में बांट दें। ऐसा करने से मां ब्रह्मचारिणी सभी पर कृपा करती हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं। मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान और विद्या की देवी हैं। उनका प्रसाद ग्रहण करने से बुद्धि तीव्र होती है और विद्या प्राप्ति में सफलता मिलती है।
मां ब्रह्मचारिणी मंत्र
1. या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
2. ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी.
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते..
3. ओम देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
मां ब्रह्मचारिणी का स्रोत पाठ
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥
मां ब्रह्मचारिणी का कवच
त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)