भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। माँ दुर्गा की आराधना का पर्व नवरात्र का आज चौथा दिन है, भक्त माँ के चौथे स्वरूप कुष्मांडा की पूजा कर रहे है। नौ देवियों के पूजन के विशेष दिन किसी पर्व की तरह ही भक्त मनाते है, मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटती है वही अलसुबह से देर रात तक मंदिरों में पूजन अर्चन होता है, नौ देवियों की पूजा के इन दिनों में चैत्र नवरात्र का चौथा दिवस मां कुष्मांडा की आराधना का दिन होता है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी कुष्मांडा ने ही इस संसार की रचना की थी, यही कारण है कि इन्हें सृष्टि की आदिस्वरूपा और आदिशक्ति भी कहा जाता है, मां के इस स्वरूप को सृष्टि के रचनाकार के रूप में भी जाना जाता है।
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माता कुष्मांडा के लिए माना जाता है कि जब दुनिया नहीं थी तब हर ओर अंधेरा व्याप्त था, तब देवी ने ही अपनी मंद-मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी, जिसके बाद से ही इन्हें देवी कुष्मांडा कहा गया, ऐसा कहा जाता है कि मां कुष्मांडा अत्यंत ही तेजस्वी देवी हैं, उनकी अष्ट भुजाएं हैं, कमंडल, धनुष बाण, कमल पुष्प, अमृत कलश, चक्र एवं गदा अपनी भुजाओं में धारण किए हुए हैं और सिंह पर सवार हैं, मां कुष्मांडा सात्विक बलि से अत्यंत प्रसन्न होती हैं. कुष्मांडा देवी को लाल रंग से सुसज्जित श्रृंगार किया जाता है। वही मां कुष्मांडा को देवीरक्त पुष्पों की माला प्रिय है, मान्यता है कि कुष्मांडा देवी की आराधना करने से समस्त कष्टों से निवृत्ति मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है, सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी मां कुष्मांडा ही हैं, मां का ये रूप पूरे ब्रह्मांड में शक्तियों को जागृत करने वाला है।
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माँ कुष्मांडा की पूजा के लिए श्रद्धालु सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और मां कुष्मांडा का स्मरण करके उनको धूप, गंध, अक्षत, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा ,कद्दू, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें, इसके बाद मां कुष्मांडा को हलवा और दही का भोग लगाएं। माना जाता है माँ दुर्गा को मीठा बहुत प्रिय है, ऐसे में माँ कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाए और मुख्य मंत्र ‘ॐ कुष्मांडा देव्यै नमः’ का 108 बार जाप करें और आरती के साथ पूजा का समापन करें।