Govatsa Dwadashi 2022 : गोवत्स द्वादशी पर गौ सेवा का विशेष महत्व, जानिये मुहूर्त और पूजन विधि

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आज गोवत्स द्वादशी (Govatsa Dwadashi 2022) है। आज के दिन गौ सेवा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन गाय को भोजन कराने का बहुत महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादथी तिथि को और धनतेरस (Dhanteras) से एक दिन पहले गोवत्स द्वादशी मनाई जाती है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस दिन पर सफभी को मंगलकामनाएं दी हैं।

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गोवत्स द्वादशी को कई स्थानों पर वसु बारस (Vasu Baras) या बछ बारस (Bach Baras) के नाम से भी जाना जाता है। ये दिन गायों और उनके बछड़ों को समर्पित होता है। मान्यतानुसार आज गाय (Cow) और बछड़ों (Calf) की सेवा की जाती है इसीलिए आज के दिन ग्वाले उनका दूध नहीं निकालते हैं न ही आज दूध पिया जाता है। इस दिन सिर्फ बछड़े ही गाय ता दूध पीते हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार गाय में सभी देवी देवताओं का वास होता है। स्वयं श्रीकृष्ण भी गौसेवा करते थे इसीलिए आज के दिन का बेहद धार्मिक महत्व है। माना जाता है कि आज गौमाता और गौवंश की पूजा करने से पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है।

इस साल द्वादशी तिथि 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 22 मिनिट से शुरू हो रही है और 22 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोषकाल गोवत्स द्वादशी मुहूर्त 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 46 मिनिट से रात 8 बजकर 18 मिनिट तक रहेगा और इसकी अवधि 2 घंटे 32 मिनट होगी। आज के दिन स्वयं स्नान करके गौमाता और बछड़े को स्नान कराना चाहिए और दोनों को नए वस्त्र औढ़ाकर फूल माला पहनाएं। उनके माथे पर तिलक करें और फिर गौमाता को हरा चना, अंकुरित मूंग मोठ चने, मीठी रोटी गुड़ आदि खिलाना चाहिए। गौवश की पूजा कर उनका धन्यवाद करें और भूल चूक के लिए क्षमा मांगे। अगर आपके आसपास गाय बछड़े न को तो मिट्टी की गाय बनाकर भी पूजा की जा सकती है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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