Jagannath Rath Yatra 2024 : ओडिशा के पूरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा एक महत्वपूर्ण और भव्य धार्मिक आयोजन है। यह यात्रा हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को होती है। इस पावन अवसर पर भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र तीन अलग-अलग विशाल रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं जोकि जो उनकी मौसी का घर माना जाता है। इस दौरान लाखों भक्त इस यात्रा में भाग लेते हैं और भगवान के रथ को खींचने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं। यह यात्रा हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 07 जुलाई, 2024 को सुबह 04:26 बजे शुरू हो रही है और इसका समापन 08 जुलाई, 2024 को सुबह 04:59 बजे होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का अधिक महत्व होने के कारण वर्ष 2024 में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 07 जुलाई से होगी।
लकड़ी का ऐसे होता है इस्तेमाल
भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम ‘नंदीघोष’ है और इसमें 16 पहिए होते हैं। बलभद्र के रथ का नाम ‘तालध्वज’ है और इसमें 14 पहिए होते हैं, जबकि सुभद्रा के रथ का नाम ‘दर्पदलन’ है और इसमें 12 पहिए होते हैं। रथों की सजावट देखने लायक होती है। जिसे अक्षय तृतीया से बनाना शुरू कर दिया जाता है। जिसका निर्माण नीम के पेड़ की लकड़ी से होती है। वहीं, इस यात्रा के बाद रथों की लकड़ी का उपयोग भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद बनाने के लिए किया जाता है, जिससे रथों का पवित्र उपयोग होता है। तीनों रथों के पहियों को भक्तों में बेचा जाता है, जो इन्हें अपने घरों में शुभ और पवित्र मानते हैं।
स्कंद पुराण में मिलता है वर्णन
स्कंद पुराण में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का विस्तृत वर्णन मिलता है। इस पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के नाम का जप-कीर्तन करते हुए गुंडिचा नगर तक जाता है, उसे पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है। इस यात्रा में शामिल होने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
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