Tue, Dec 23, 2025

नहाय खाय के साथ आज से शुरू हुआ छठ का महापर्व, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Written by:Sanjucta Pandit
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नहाय खाय के साथ आज से शुरू हुआ छठ का महापर्व, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Chhath Puja 2023 : लोक आस्था का महापर्व छठ आज से शुरू हो चुका है। इसका शुभारंभ पहले दिन नहाए खाए के साथ होता है। इस दिन व्रती सात्विक भोजन खाते हैं। छठ पूजा का पहला दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन व्रत रखने और नहाने-खाने के लिए समर्पित होता है, जिससे छठ पूजा का शुभारंभ होता है। बता दें कि यह त्योहार मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश  में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान व्रती उगते और धलते सूर्य की पूजा करते हैं। साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास रख छठी मां का आशिर्वाद प्राप्त करते हैं। चार दिवसीय पर्व के दौरान सभी के घरों में छठ पूजा के गीत बजाए जाते हैं। प्रसाद के रुप में ठेकुआ बनाया जाता है। तरह-तरह के फल चढ़ाए जाते हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको नहाए खाए की सही पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व बताएंगे…

शुभ मुहूर्त

  • कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि 16 नवंबर यानि गुरुवार को दोपहर 12:34 बजे से हुआ था जो कि 17 नवंबर शुक्रवार, सुबह 11:03 बजे समाप्त हुई।
  • नहाए खाए का शुभ समय: सुबह 11:44:28 बजे से दोपहर 12:27:15 बजे तक।
  • सूर्योदय: सुबह 06:45 बजे
  • सूर्यास्त: शाम 5 बजकर 27 मिनट पर होगी।
  • रवि योग का समय देर रात 01:17 बजे से शुरू हुआ और कल सुबह 06:46 बजे तक चलेगा।

अशुभ समय

भद्रा काल: सुबह 6 बजकर 45 मिनट से सुबह 11 बजकर 3 मिनट तक।

राहु काल: सुबह 10 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 6 मिनट तक।

पूजन विधि

  • सूर्योदय से पहले स्नान करें। स्नान के लिए पवित्र जल होना चाहिए।
  • इस दौरान वेद मंत्रों का पाठ करें।
  • सूर्य देवता की मूर्ति या छवि को स्थापित करें। उन्हें वस्त्र और माला से सजाएं।
  • जिसके बाद दीप, अगरबत्ती, चावल, मिठाई, फल, पुष्प, नीरजा और गंगाजल से पूजा करें।
  • सूर्य देव के मंत्रों और आरती का पाठ करें।
  • पूजा के बाद प्रसाद बाँटें और उसे सभी को खिलाएं।

महत्व

नहाय खाय का महत्व नहाने और व्रत करने से है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रती शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करते हैं। साथ ही इस दिन साफ-सफाई का विशेष महत्व होता है। व्रती व्यक्ति विशेष प्रकार से त्याग और साधना की भावना के साथ इसे मानते हैं। यह व्रत परिवार की एकता को भी मजबूत करता है और सभी को एक साथ लाता है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना अलग-अलग जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)