भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। दिवाली (Diwali) रोशनी और आतिशबाजी का त्योहार है। लेकिन समय के साथ पटाखे (firecrackers) प्रदूषण (pollution) की बड़ी वजह बनते जा रहे हैं। यही वजह है कि दिवाली के बाद कई लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आंखों में जलन, गले में खराश, नाक से पानी निकलना, चक्कर आना या फिर सिरदर्द..ऐसी कई तरह की परेशानियों से लोग गुजरते हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों पर इसका बेहद खराब असर पड़ता है। गर्भवती महिलाओं की सेहत भी प्रभावित होती है। इसीलिए जिस तरह हम दिवाली की खुशियों की तैयारी पहले से कर लेते हैं, अपनी सेहत का खयाल रखने के लिए भी ऐहतियात पहले से ही बरतना बेहतर है।
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- पटाखों के केमिकल बेहद नुकसानदेह होते हैं। आतिशबाजी के समय मास्क पहनकर रखें। कोशिश करें कि जहां बहुत अधिक धुंआ हो वहां से हट जाएं। पटाखे चलाने के बाद साबुन से हाथ जरुर धोएं, उन्हीं हाथों से कुछ खाएं नहीं।
- अगर आपके घर में किसी को अस्थमा है या श्वास संबंधी बीमारी है तो उन्हें आतिशबाजी से दूर रखिए। उनकी दवाएं और इन्हेलर आदि की व्यवस्था करके रखें।
- पटाखों के धुएं से फेफड़े में सूजन आ सकती है। अगर ये समस्या बिगड़ गई तो आर्गन फेलियर तक हो सकता है, इसलिए बुजुर्गों और बीमारों को इनसे पूरी तरह बचकर रहना चाहिए।
- पटाखों के धुएं से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी हो सकता है। इसमें मौजूद लैड हार्ट पेशेंट के लिए काफी नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए इन मरीजों को घर के अंदर ही रहना चाहिए। अगर आसपास ज्यादा धुआं हो तो मुंह पर गीला रुमाल बांध लीजिए।
- आंखों के ऊपरी हिस्सा बेहद नाजुक होता है इसलिए यहां एलोवेरा जेल लगा लें। इससे धुएं का असर कम होगा।
- पटाखों के हानिकारक रसायन गर्भवती महिलाओं को और उनके होने वाले बच्चों पर भी नुकसानदेह असर कर सकते हैं। इन्हें भी पटाखों से दूर रहना चाहिए।
- इंसानों के साथ जानवरों को भी पटाखों से बहुत नुकसान होता है। धुएं के साथ वो इसकी आवाज से भी घबरा जाते हैं। अगर आपके घर भी कोई पालतू जानवर है तो उसे घर के अंदर ऐसी जगह रखें जहां वो सुरक्षित महसूस करे। ये भी कोशिश करें कि जहां पटाखे जला रहे हों वहा कोई आवारा जानवर न हो।