Lifestyle: यह पांच आदतें आपके दिमाग को बना देती है कमजोर

जीवनशैली, डेस्क रिपोर्ट। मनुष्य के मस्तिष्क का स्वास्थ्य कई कारकों पर निर्भर करता है। यदि आप अपने प्रवृत्ति को नियंत्रित कर लेते हैं तो इसका मतलब है कि आप अन्य चीजों पर भी आसानी से नियंत्रण रख लेंगे। यही नियंत्रण आपको हंसमुख, खुश और स्वस्थ्य रहने में मदद करता है। इसलिए हम सलाह देते हैं कि आप अपने मस्तिष्क का ख्याल रखें।

खुद का ख्याल रखना बहुत जरुरी है, यदि आप यह समझ लेते हैं तो आपको हॉस्पिटल के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और ना ही डॉ. से कोई अपॉइंटमेंट लेनी पड़ेगी। शरीर में जो मस्तिष्क होता है वह दरअसल में आपका सबसे कीमती दोस्त हैं। यदि आपके रोजमर्रा में ऐसी चीजें हैं जो आपके ब्रेन को प्रभावित करता है, उसे तुरंत बदल दें। आइये उन चीजों के बारे में जानते हैं:

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दिमाग को धीमा करने वाली आदतों से छुटकारा पाएं

1. नमक का बहुत ज्यादा सेवन
जी हाँ, नमक एक ऐसा उत्पाद है जो आपके उच्च रक्तचाप को बढ़ा देता है, साथ ही यह संज्ञानात्मक घाटे और स्ट्रोक के जोखिम को जन्म देता और बहता है। यह जोखिम आपके दिमाग को काफी गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।

2. पर्याप्त नींद
विज्ञान का कहना है कि मनुष्य को औसतन 7 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए लेकिन अभी भी यह प्रूफ नहीं हुआ है कि कितने घंटे की नींद आवश्यक है। नींद की कमी से आपको ध्यान की कमी हो सकती है जो आपकी याददाश्त को नुकसान पहुंचाती हैं। पूरी नींद आपके मस्तिष्क के पास दीर्घकालिक प्रभाव डालती है क्योंकि इससे टॉक्सिक्स पदार्थों से छुटकारा मिलता है। तंत्र पूरे रूप से सक्रिय हो जाते हैं और हानिकारक पदार्थ आपके मस्तिष्क तक नहीं पहुंचते हैं।

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3. सुनना कम करें
आधुनिक शोर शराबे के कारण हमारे कान हमेशा परेशान रहते हैं। गाड़ियों का सायरन, लोउद्स्पीकर, ताज गाने और ऐसे न जाने कितनी ही चीजें हैं जो हमारे कानो के द्वारा हमारे अंदर जा रही है और हमे डिस्ट्रैक्ट कर रही है। इसलिए नॉइज़ स्टॉपर बड का प्रयोग करें और अपने मष्तिष्क को तंदुरस्त रखें। ज्यादा शोर भी आपके मष्तिष्क की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है।

4. अत्यधिक भोजन
अत्यधिक भोजन वजन तो बढ़ाता ही है, इसके अलावा यह आपके मष्तिष्क पर भी प्रभाव डालता है। जर्नल न्यूरोलॉजी के अनुसार 2012 में किये गए शोध के अनुसार मोटे लोगों की क्षमता में पतले लोग 22% जयादा संज्ञानात्मक कार्यों में परिपक्व थे।

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5. अकेलापन
अकेलापन किसी को भी हो सकता है। जब आपके अंदर बहुत सी चीजें चल रही हो लेकिन आप उसे शेयर नहीं कर पा रहे हैं तो इसका मतलब है आप अकेले हैं, और वह चीज आपको अंदर ही अंदर खाये जा रही है। आमतौर पर अकेले रहना अकेलेपन को बढ़ाता है और यह मस्तिष्क में तनाव और सूजन प्रक्रियाओं का कारण बनता है।


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Ram Govind Kabiriya

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