मोबाइल खोने पर होती है मौत के करीब होने जैसी घबराहट! जानिए हैरान कर देने वाले मनोवैज्ञानिक तथ्य

जब लोग शारीरिक रूप से थक जाते हैं तो वे अधिक ईमानदार हो जाते हैं। यही कारण है कि देर रात की बातचीत के दौरान लोग कई बातें कबूल करते हैं। खुश लोगों के साथ रहने से खुशी मिलती है, इसलिए लोग खुशगवार लोगों के साथ रहना पसंद करते हैं।

Psychology

Psychological Facts : मनोविज्ञान एक अनुशासनिक अध्ययन है जो मानवीय मानसिक प्रक्रियाओं, व्यवहार और मानसिक संघटनाओं का अध्ययन करता है। यह विज्ञान लोगों के मानसिक स्वास्थ्य, व्यक्तित्व, सामाजिक इंटरेक्शन, शिक्षा, और संज्ञान के विविध पहलुओं को अध्ययन करता है। मनोवैज्ञानिक तथ्य विभिन्न शोध और प्रयोगों द्वारा प्राप्त किए जाते हैं। मनोवैज्ञानिक तथ्यों की विशेषता यह है कि वे मानव मानसिक प्रक्रियाओं, व्यवहार, और अनुभवों को समझने और विश्लेषित करने में मदद करते हैं। इन तथ्यों के आधार पर हम विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अध्ययन करते हैं, व्यक्तित्व के पहलुओं को समझते हैं, और सामाजिक संगठनों में प्रतिबिंबित व्यवहार को अध्ययन करते हैं। आज हम आपके साथ विभिन्न अध्ययनों से प्राप्त कुछ रोचक मनोवैज्ञानिक तथ्य साझा कर रहे हैं।

मनोवैज्ञानिक तथ्य

  1. ख़ुशी, गुस्सा, उदासी, डर, घृणा और आश्चर्य ये ऐसी भावनाएँ हैं जो पूरी दुनिया में सार्वभौमिक रूप से व्यक्त होती हैं।
  2. लोगों को कभी याद नहीं रहता कि आपने उनसे क्या कहा था। उन्हें याद है कि आपने उन्हें कैसा महसूस कराया था।
  3. आप कभी ध्यान दें कि ख़ुशी के पहले आँसू दाहिनी आँख से आते हैं और दुःख के पहले आँसू बायीं आँख से आते हैं।
  4. यकीन मानिए, प्यार में पड़ने के लिए सिर्फ 4 मिनट ही काफी हैं।
  5. मानव स्वभाव है कि वे उन लोगों को नजरअंदाज कर देते हैं जो उन्हें पसंद करते हैं और जो उन्हें नजरअंदाज करते हैं उन पर वे अधिक ध्यान देते हैं।
  6. “अब आप पहले जैसे नहीं रहे, आप बदल गए हैं” अगर कोई आपसे यह कहता है, तो इसका मतलब है कि आपमें से 95% वो चीजें बदल गई हैं जो उस व्यक्ति को पसंद थीं। बाकी आपमें कोई बदलाव नहीं आया है।
  7. ये सत्य है कि ज्यादा दोस्त नहीं बनाये जाते, लेकिन जो बनाये जाते हैं वो पक्के दोस्त होते हैं।
  8. मानव व्यवहार संबंधी अध्ययनों से पता चला है कि जिस व्यक्ति का मोबाइल खो जाता है, उसे वही घबराहट महसूस होती है जो मौत के करीब होने पर होती है।
  9. आज के समय में तनाव का स्तर कितना बढ़ गया है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज हाई स्कूल के बच्चों में चिंता का स्तर उतना ही है जितना 1950 के दशक की शुरुआत में औसत मनोरोग रोगियों में था।
  10. स्मार्ट लोग अक्सर खुद को कम आंकते हैं और अज्ञानी लोग सोचते हैं कि वे उत्कृष्ट हैं।

(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैंं।)


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

Other Latest News