Merry Christmas : आज दुनियाभर में क्रिसमस का त्योहार उल्लास और खुशी के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन विशेष रूप से ईसाई समुदाय के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसे प्रभु यीशु के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। हालांकि, अब क्रिसमस पर्व सिर्फ ईसाई धर्म तक सीमित नहीं रह गया बल्कि सभी धर्मों और संस्कृतियों के लोग इसे उत्साह और प्रेम के साथ मनाते हैं।
क्रिसमस का पर्व प्रेम, समर्पण और दूसरों के प्रति दया का प्रतीक है। इस दिन की तैयारी महीनों पहले से शुरु हो जाती है। घर, बाजार और शहरों को रंग-बिरंगी रोशनियों से सजाया जाता है। क्रिसमस ट्री की सजावट, मोमबत्तियां, स्वादिष्ट भोजन, अपनों से मिलना और उपहार इस दिन की विशेषता है।
Christmas : खुशियों का पर्व
क्रिसमस का पर्व हमें सिखाता है कि असली खुशी किसी के चेहरे पर मुस्कान देखने और दूसरों के लिए कुछ अच्छा करने में है। इस दिन की मिठास और खुशियां अब किसी धर्म विशेष तक सीमित नहीं रही। आज दुनियाभर में अलग अलग धर्म और समुदाय के लोग भी पूरे उत्साह से क्रिसमस मनाते हैं। हर खौस मौके और पर्व के साथ कई परंपराएं और मान्यताएं होती हैं। क्रिसमस से जुड़ी कई बातें है जो हम जानते हैं, लेकिन इसके पीछे कुछ ऐसी दिलचस्प परंपराएं और बातें भी हैं जिन्हें बहुत से लोग नहीं जानते। आज हम ऐसी ही कुछ रोचक बातें जानेंगे।
क्रिसमस से जुड़ी दिलचस्प बातें
1. प्रभु यीशू का असली जन्मदिन : यद्यपि क्रिसमस को यीशु के जन्म के दिन के रूप में मनाते हैं, लेकिन कुछ ऐतिहासिक शोध बताते हैं कि यीशु का जन्म 25 दिसंबर को नहीं हुआ था। बाइबल में ईसा मसीह के जन्म की तारीख़ का ज़िक्र नहीं है। हालांकि, बाइबल में यीशु के जन्म से जुड़ी कुछ बातें ज़रूर बताई गई हैं। ये भी उल्लेख है कि यह तिथि प्राचीन रोमन त्योहार “सोल इन्फेक्स” से प्रेरित थी, जो 25 दिसंबर को मनाया जाता था। इस दिन सूर्य देवता की पूजा होती थी और क्रिसमस की तारीख को इसी दिन पर रखकर इसे ईसाई धर्म में ढाल लिया गया। कुछ इतिहासकारों और धार्मिक अनुयायियों का मानना है कि ईसा का जन्म वास्तव में इस दिन नहीं हुआ था। कई विद्वानों का मानना है कि यीशु का जन्म 4 ईसा पूर्व और 6 ईसा पूर्व के बीच हुआ था वहीं कुछ धर्मशास्त्रियों का मानना है कि यीशु का जन्म वसंत में हुआ था। ईसाई कैलेंडर के मुताबिक, यीशु का जन्म 1 ईसा पूर्व या 1 ईस्वी में हुआ था।
2. सांता क्लॉस : सांता क्लॉस, जिसs हम आज लाल रंग के कपड़े पहने और ढेर सारे उपहारों के साथ पहचानते हैं, उसकी उत्पत्ति सेंट निकोलस से हुई थी, जो एक चौथी सदी के बिशप थे। वे गरीबों और बच्चों को उपहार देते थे। लेकिन सांता क्लॉस का आधुनिक रूप विशेष रूप से 19वीं सदी में जर्मन और अमेरिकी कला से प्रभावित हुआ। 1930 के दशक में कोका-कोला कंपनी ने अपने विज्ञापनों में सांता क्लॉस को गोल-मटोल और लाल कपड़े पहने हुए चित्रित किया, जिससे उसका आज का लोकप्रिय रूप बना।
3. क्रिसमस ट्री की परंपरा : क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा जर्मनी से शुरू हुई थी। 16वीं शताब्दी में जर्मनी के ईसाई घरों में सदाबहार पेड़ लाए जाने लगे थे। पहले ये पेड़ छोटे होते थे, जिन्हें मोमबत्तियां और स्वाभाविक सजावट जैसे सेब, नट्स और फूलों से सजाया जाता था। 18वीं सदी में जर्मनी में यह परंपरा बहुत लोकप्रिय हो गई। बाद में यह परंपरा इंग्लैंड और अन्य देशों में फैली।
4. मिस्टलेटो (Mistletoe) : मिस्टलेटो एक हरा पौधा है जो क्रिसमस ट्री के नीचे लटकाया जाता है। इसके नीचे खड़े दो प्यार करने वाले लोग एक-दूसरे को चुंबन देते हैं। मिस्टलेटो के नीचे चुंबन करना प्यार और रोमांस का प्रतीक है। यह परंपरा 18वीं शताब्दी में इंग्लैंड में शुरू हुई थी और इसका मतलब होता था “प्यार और मेल-मिलाप”। यह इस बात का विश्वास था कि मिस्टलेटो के नीचे खड़े हुए लोग एक-दूसरे के साथ अच्छे संबंध बनाए रखेंगे। प्राचीन नॉर्स पौराणिक कथाओं के मुताबिक, देवी फ़्रिग ने मिस्टलेटो को प्रेम का प्रतीक घोषित किया था।
5. जिंगल बेल्स” का क्रिसमस से नाता : “जिंगल बेल्स” एक लोकप्रिय क्रिसमस गीत है, लेकिन यह पहली बार इसे क्रिसमस के गीत के रूप में नहीं लिखा गया था। इसे 1857 में जेम्स लॉर्ड पियरेपोंट ने लिखा था और यह पहले थैंक्सगिविंग के गीत के रूप में प्रस्तुत किया गया था। बाद में इसे क्रिसमस गीत के रूप में लोकप्रियता मिली।
6. पॉपकॉर्न की सजावट : क्रिसमस ट्री की सजावट में एक और दिलचस्प परंपरा है, जो खासकर अमेरिका में लोकप्रिय है। यहां क्रिसमस ट्री पर पॉपकॉर्न की माला लटकाई जाती है। यह परंपरा 19वीं सदी के अंत में शुरू हुई थी। पहले ये पॉपकॉर्न हाथों से बनाए जाते थे और फिर इन्हें रंगीन रूप दिया जाता था। ऐसा माना जाता है कि यह परंपरा तब शुरू हुई जब क्रिसमस ट्री को घर से बाहर जानवरों के भोजन के लिए सजाया जाता था।
7. क्रिसमस कार्ड का अविष्कार : क्रिसमस कार्ड का अविष्कार 1843 में इंग्लैंड में हुआ था। सर हेनरी कोल ने क्रिसमस कार्ड का विचार दिया था। उन्होंने कलाकार जॉन कॉलकॉट हॉर्स्ले को एक उत्सव-थीम वाला कार्ड डिज़ाइन करने के लिए कहा था। कोल ने 1,000 कार्ड छपवाए थे और जो उन्होंने खुद इस्तेमाल नहीं किए, उन्हें जनता को बेच दिया। यह कार्ड पोस्टकार्ड के आकार का था और इस पर संदेश लिखा था ‘आपको क्रिसमस और नववर्ष की शुभकामनाएं’। पहले के क्रिसमस कार्ड पर चित्र नहीं होते थे बल्कि उस पर सिर्फ संदेश लिखा जाता था। धीरे धीरे दुनियाभर में क्रिसमस कार्ड देने का चलन शुरु हो गया और आज ये इस पर्व की एक परंपरा बन गई है।।
(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)