Noise Canceling Headphones : ये नई रिपोर्ट उड़ा देगी होश, सोच-समझकर करें नॉइज़ कैंसलेशन हेडफ़ोन का इस्तेमाल

हेडफोन और ईयरफोन का उपयोग अब हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। खासतौर पर नॉइज़ कैंसलेशन हेडफोन, जो बाहरी शोर को कम करने में मदद करते हैं लोगों की पहली पसंद बन रहे हैं। लेकिन क्या इनका ज्यादा इस्तेमाल हमारे स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है? विशेषज्ञों की एक नई रिपोर्ट के अनुसार नॉइज़ कैंसलेशन हेडफोन का ज्यादा इस्तेमाल हमारी सुनने की क्षमता और मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

Shruty Kushwaha
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Noise Canceling Headphones : कानों में ईयरफोन या हेडफोन लगाए लोग अब आपको हर जगह दिख जाएंगे। बस-ट्रेन में, शॉपिंग मॉल, बाज़ार,  दफ्तर, अस्पताल यहाँ तक कि ड्राइव करते हुए भी कई लोग इन्हें लगाए रखते हैं। पिछले कुछ समय में नॉइज़ कैंसलेशन हेडफोन का उपयोग तेजी से बढ़ा है। ये वो हेडफोन होते हैं जो आपको बाहरी शोर से बचाने में मदद करते हैं। लेकिन क्या इनका ज्यादा इस्तेमाल आपकी सेहत के लिए ठीक है ?

हाल ही में एक नई रिपोर्ट आई है और इसमें विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इन हेडफोन्स का बहुत ज्यादा उपयोग आपके मस्तिष्क और सुनने की क्षमता के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए अगर आप भी नॉइज़ कैंसलेशन हेडफ़ोन का इस्तेमाल करते हैं तो सावधानी बरतना शुरु कर दीजिए।

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क्या होते हैं Noise Canceling Headphones

नॉइज़ कैंसलेशन हेडफोन ऐसे हेडफोन होते हैं जो बाहरी शोर को कम या खत्म करने के लिए बनाए जाते हैं। इनमें विशेष तकनीक का उपयोग होता है और ये मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। पहला है पैसिव नॉइज़ कैंसलेशन (Passive Noise Cancellation – PNC) और दूसरा है एक्टिव नॉइज़ कैंसलेशन (Active Noise Cancellation – ANC) हैडफोन्स। कोरोना के बाद से वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन मीटिंग्स का चलन बढ़ गया है और इस दौरान साफ ऑडियो के लिए इस तरह  के हेडफोन्स की उपयोगिता बढ़ गई है। वहीं, गेमिंग, म्यूजिक सुनने और मूवी देखने के दौरान भी बेहतर ऑडियो क्वालिटी के लिए इनका उपयोग होता है।

ज्यादा उपयोग से दिमाग और सुनने की क्षमता पर हो सकता है नकारात्मक प्रभाव

अगर आप भी इनका बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो ये रिपोर्ट आपके लिए है। इसका अधिक उपयोग आपकी सेहत पर गंभीर दुष्परिणाम छोड़ सकता है। पिछले दिनों ब्रिटिश एकेडमी ऑफ ऑडियोलॉजी की अध्यक्ष क्लेयर बेंटन ने कहा है कि नॉइज़-कैंसलेशन हेडफोन का अत्यधिक उपयोग हमारे मस्तिष्क के आसपास के शोर को फिल्टर करने की प्राकृतिक क्षमता को नकारात्मक तरीके से प्रभावित कर सकता है। इससे ऑडिटरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर (APD) जैसी स्थितियां विकसित हो सकती हैं, जिसमें व्यक्ति को सामान्य ध्वनियों को समझने में कठिनाई होती है। बेंटन ने ये भी कहा है कि हमारे दिमाग की जटिल ध्वनि को सुनने की क्षमता किशोरावस्था के अंत तक विकसित होती हैं और इस दौरान नॉइज़-कैंसलेशन तकनीक का बहुत ज्यादा इस्तेमाल इस प्राकृतिक विकास को बाधित कर सकता है।

वहीं, इम्पीरियल कॉलेज हेल्थकेयर एनएचएस ट्रस्ट की विशेषज्ञ रेनी अल्मेडा ने बताया कि अब ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो ठीक से सुन तो सकते हैं, लेकिन आवाज़ों को समझने में दिक्कत महसूस करते हैं। उनका कहना है कि APD की ये समस्या लगातार नॉइज़-कैंसलेशन हेडफोन के इस्तेमाल से हो सकती है। इसीलिए अगर आप भी इनका लगातार और बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो समय रहते संभल जाइए। बहुत ज्यादा वॉल्यूम पर संगीत सुनने से कानों को नुकसान हो सकता है। दिनभर  हेडफोन लगाकर न रखें और अपने कानों को आराम दें। कभी-कभी नॉइज़ कैंसलेशन मोड बंद करके भी हेडफोन का इस्तेमाल करें ताकि दिमाग बाहरी ध्वनियों को पहचानने की क्षमता बनाए रखे और जरूरत के अनुसार ही इनका हिसाब से इस्तेमाल करें।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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