अपने टीनेज बच्चे को समझने के लिए करना होगा उससे दोस्ती, रखें इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान

Parenting Tips: टीनेज बच्चे के साथ एक अच्छा रिश्ता बनाने के लिए सबसे जरूरी है कि आप उन्हें समझें और उनके साथ दोस्ती का रिश्ता कायम करें। इस उम्र में बच्चे मानसिक और शारीरिक बदलावों से गुजर रहे होते हैं, और उन्हें किसी के साथ अपनी बातों को खुलकर शेयर करने की जरूरत होती है।

भावना चौबे
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Parenting Tips: टीनएज यानी 13 से 19 साल का समय एक महत्वपूर्ण बदलाव का दौर होता है, जब बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में तेजी से परिवर्तन होते हैं। इस उम्र में बच्चों का ध्यान परिवार से हटकर दोस्तों की और बढ़ने लगता है, क्योंकि हार्मोनल बदलावों के कारण उनकी प्राथमिकताएं बदलने लगती है।

इस समय बच्चे खुद को पहचानने की कोशिश करते हैं और स्वतंत्रता की ओर बढ़ते हैं, जिससे वे माता-पिता से थोड़ी दूरी बना लेते हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह से सामान्य है और इस दौरान बच्चों का सही मार्गदर्शन बेहद जरूरी है।

टीनएज बच्चों के साथ दोस्ताना रिश्ता बनाने के 5 आसान तरीके

टीनएज में बच्चे अक्सर महसूस करते हैं कि उनके माता-पिता उनकी बातों को समझ नहीं पा रहे हैं, यह कैसी उम्र होती है जो बच्चों को माता-पिता से ज्यादा अच्छे दोस्त लगने लगते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि दोस्त उन्हें अच्छी तरह से समझते हैं। इस समय बच्चे आत्मनिर्भरता की और बढ़ते हैं और उनकी प्राथमिकताएं बदलने लगती है, जिससे वह कई बार माता-पिता से दूर हो जाते हैं।

इस तरह बच्चों का टीनएज माता-पिता के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय होता है, इस उम्र में माता-पिता को यह टेंशन रहता है, कि कहीं उनका बच्चा किसी बहकावे में ना आ जाए, कहीं किसी की बातों में आकर कुछ गलत काम ना कर दें। ऐसे में इस स्थिति से निपटने के लिए माता-पिता को बच्चों के साथ एक दोस्त जैसा रिश्ता बनाना जरूरी होता है। आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए, बताएंगे कि आप किन-किन बातों का ध्यान रखकर अपने बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार बना सकते हैं।

बच्चे की भावनाओं और विचारों को समझें

जब बच्चे छोटे होते हैं तो उन्हें माता-पिता अपनी बातों में आसानी से बहला सकते हैं, लेकिन जैसे ही वे टीनएज में पहुंचते हैं उनकी सोच और व्यवहार में बदलाव आने लगता है। इस दौर में अगर आप उनके विचारों और भावनाओं को नजरअंदाज करते हैं तो उसे उनमें गुस्सा और नाखुशी पैदा हो सकती है। इसलिए जरूरी है की माता-पिता हमेशा अपने बच्चों की बातों को ध्यान से सुने और जब वह अपनी सोच अनुभव या भावनाएं शेयर करें तो उसे पर प्रतीक क्या दें।

बच्चे के विचारों का सम्मान

अपने बच्चों की भावनाओं और विचारों का हमेशा सम्मान करें, चाहे उनकी राय आपसे मेल खाती हो या नहीं। इस उम्र में बच्चे अपनी सोच और व्यक्तित्व को ढाल रहे होते हैं, इसलिए बिना किसी पूर्वाग्रह कि उनकी बातों को सुनना बहुत जरूरी है। अगर वे कुछ गलत बोले, तो उन्हें जज करने के बजाय प्यार और समझदारी से उनके दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करें।

टीनएज बच्चे के शौक का समर्थन

टीनएज बच्चों के लिए उनकी पसंद ना पसंद बहुत जरूरी होती है और इस दौरान उनका आपसे जुड़ा रहना भी जरूरी है। उनकी हॉबीज में शामिल होना चाहे वह खेलकूद हो या फिर कोई अन्य शौक, बच्चों को यह एहसास दिलाता है कि आप उनकी रुचियां को समझते हैं और उनका समर्थन करते हैं। हो सकता है कि उनकी हॉबी, पढ़ाई से ज्यादा खेलकूद में हो, लेकिन आपको उन्हें अकेला महसूस नहीं होने देना चाहिए।

जिम्मेदारी देने का महत्व

बच्चों के साथ दोस्ती का मजबूत रिश्ता बनाने के लिए उन्हें स्वतंत्रता देना बहुत जरूरी है। उन्हें अपने फैसले खुद लेने का मौका दें, ताकि वे अपनी जिम्मेदारी समझ सके और आत्मविश्वास से भरे रहें। यदि वे कोई गलती करते हैं तो उन्हें सही और गलत का फर्क समझना जरूरी है, लेकिन इसे समझने का तरीका प्यार भरा और सहायक होना चाहिए। उन्हें ऐसा महसूस कारण कि आप उनके साथ हैं और हर कदम पर उनका समर्थन करते हैं।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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