Parenting Tips: बच्चों की गलतियों पर डाटें फटकारें नहीं, अपनाएं टाइम आउट टेक्नीक, जानिए इसके 5 जबरदस्त फायदे

Parenting Tips: बच्चों की गलतियां निश्चित रूप से माता-पिता के लिए निराशाजनक हो सकती हैं। अक्सर गुस्से में आकर हम बच्चों को डांटते-फटकारते हैं, जो कि नकारात्मक परिणाम दे सकता है। इसके बजाय, Time Out टेक्नीक अपनाकर आप बच्चों को अनुशासन सिखाने का बेहतर तरीका अपना सकते हैं।

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Parenting Tips: बच्चों की परवरिश हर माता-पिता के लिए एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। यह न केवल उनके शारीरिक विकास बल्कि उनके भावनात्मक और सामाजिक विकास को भी आकार देती है। बच्चे भविष्य में कैसा वयस्क बनेंगे, इस पर काफी हद तक उनके बचपन का अनुभव निर्भर करता है। पहले के समय बच्चों को डांटना-डपटना या शारीरिक दंड देना आम बात मानी जाती थी। हालांकि, अब हम जानते हैं कि ये तरीके न सिर्फ अप्रभावी हैं बल्कि हानिकारक भी हो सकते हैं।

आज के माता-पिता बच्चों की मनोविज्ञान को समझते हुए उनकी सकारात्मक परवरिश पर ध्यान दे रहे हैं। इसका एक महत्वपूर्ण पहलू है उन्हें सही और गलत की समझ विकसित करना और अनुशासन का पाठ पढ़ाना। इस उद्देश्य के लिए कई आधुनिक परवरिश तकनीकें अपनाई जा रही हैं। उन्हीं में से एक है टाइम आउट टेक्नीक। चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट भी इस टेक्नीक को बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए कारगर मानते हैं। आइए विस्तार से जानें टाइम आउट टेक्नीक क्या है और इसके क्या फायदे हैं।

टाइम आउट टेक्नीक पेरेंटिंग का एक आधुनिक तरीका है जो बच्चों को अनुशासन सिखाने और उनमें सकारात्मक व्यवहार विकसित करने में मदद करता है। यह तकनीक डांट-फटकार या शारीरिक दंड के बजाय, बच्चे को कुछ समय के लिए एक शांत जगह पर अकेले बिठाने पर केंद्रित है। इस दौरान, बच्चे को किसी भी तरह के मनोरंजन या बड़े सदस्यों से बातचीत करने की अनुमति नहीं होती है।

टाइम आउट टेक्नीक का उपयोग कैसे करें

सबसे पहले, अपने बच्चे को समझाएं कि टाइम आउट क्या है और इसका उपयोग कब किया जाएगा। एक शांत जगह निर्धारित करें जहाँ आपका बच्चा टाइम आउट बिता सके। जब आपका बच्चा अनुचित व्यवहार करे, तो उसे शांत और दृढ़ स्वर में बताएं कि “यह टाइम आउट का समय है।” उन्हें उनकी उम्र के अनुसार कुछ मिनटों के लिए शांत जगह पर बिठाएं। समय समाप्त होने के बाद, अपने बच्चे से बात करें कि उन्होंने क्या गलत किया और वे भविष्य में इसे कैसे बेहतर कर सकते हैं।

टाइम आउट टेक्नीक के फायदे

समझने का मौका: गलती करने पर टाइम आउट बच्चों को शांत होकर सोचने का समय देता है। वो समझ पाते हैं कि उन्होंने क्या गलत किया और अगली बार ऐसा न करने का तरीका भी सीखते हैं। इससे वो खुद अच्छा बनने की कोशिश करते हैं।

गुस्से पर लगाम: बच्चों को गलती करते ही गुस्सा आ जाता है। टाइम आउट उन्हें गुस्सा शांत करने और सही से बात करने का मौका देता है। इससे वो अपने गुस्से को काबू करना सीखते हैं।

अपनी गलती की जिम्मेदारी: टाइम आउट बच्चों को ये सीखने में मदद करता है कि उनके किए गए कामों के अच्छे या बुरे नतीजे निकलते हैं। गलती करने पर उन्हें थोड़ा रुकना पड़ता है। इससे वो अपनी गलतियों की जिम्मेदारी लेना सीखते हैं।

खुद पर ध्यान रखना: टाइम आउट बच्चों को खुद को संभालना सिखाता है। वो ये सीखते हैं कि बिना किसी के डांटे या कहे वो खुद अपने आप को सही से कैसे रख सकते हैं।

घर का माहौल अच्छा: टाइम आउट से घर में लड़ाई-झगड़े कम होते हैं। माता-पिता बच्चों को समझाकर शांत कर सकते हैं, जिससे घर का माहौल अच्छा रहता है।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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