Parenting Tips: क्या आप भी बच्चों को सुधारने के लिए करते हैं पिटाई? जानें इसका असर

Parenting Tips: बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए पिटाई कारगर नहीं है। इससे उनमें डर, गुस्सा जैसी भावनाएं पैदा हो सकती हैं और आपसी रिश्ते भी बिगड़ सकते हैं। सकारात्मक सुदृढीकरण और स्पष्ट नियम बेहतर तरीके हैं।

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Parenting Tips: हर माता-पिता अपने बच्चों को अच्छा संस्कार देना और उन्हें जिम्मेदार बनाना चाहता है। इसमें अनुशासन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन कई बार जल्दबाजी में या गुस्से में आकर माता-पिता बच्चों को सजा के तौर पर पिटाई कर देते हैं। यह जानना ज़रूरी है कि पिटाई बच्चों के विकास के लिए हानिकारक है और यह उन्हें रास्ते पर लाने का सही तरीका नहीं है।

क्या आप जानते हैं बच्चों की पिटाई करने से उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इससे बच्चों में डर, गुस्सा, चिंता और अवसाद जैसी भावनाएं पैदा हो सकती हैं। साथ ही उनका आत्मसम्मान कम हो सकता है और एकाग्रता में कमी आ सकती है। यही नहीं, पिटाई हिंसक व्यवहार को बढ़ावा दे सकती है और माता-पिता के साथ उनके रिश्ते को कमज़ोर कर सकती है।

बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए कई सकारात्मक तरीके मौजूद हैं। सबसे कारगर तरीका है सकारात्मक सुदृढीकरण। जब बच्चा अच्छा व्यवहार करे, उसकी तारीफ करें और उसे पुरस्कृत करें। इससे बच्चे को अच्छा महसूस होगा और वह अच्छा व्यवहार दोहराने के लिए प्रेरित होगा। इसके अलावा, बच्चों के लिए स्पष्ट नियम और सीमाएं निर्धारित करें और उनका पालन दृढ़ता से करवाएं। नियमों को बच्चों को समझाएं ताकि वे उन्हें मानने के पीछे के कारण को समझ सकें।

जानें पिटाई का असर

बच्चों में बढ़ता है गुस्सा

यह सच है कि माता-पिता का गुस्सा बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। जब माता-पिता बच्चों की गलतियों पर अक्सर उनकी पिटाई करते हैं या उन्हें कठोर दंड देते हैं, तो इससे बच्चों में गुस्सा, अवज्ञा, और झूठ बोलने जैसी भावनाएं पनपने लगती हैं। पिटाई और कठोर दंड से बच्चे डर जाते हैं और उनके अंदर गुस्सा भर जाता है। यह गुस्सा आक्रामक व्यवहार, अवसाद और चिंता का कारण बन सकता है। जब बच्चे को लगता है कि उनके साथ अन्याय हो रहा है, तो वे माता-पिता की बात मानने से इनकार करने लगते हैं। यह अवज्ञा उनके व्यक्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। डर के मारे बच्चे अपनी गलतियों को छुपाने के लिए झूठ बोलने लगते हैं। यह ईमानदारी की भावना को कमजोर करता है और रिश्तों में तनाव पैदा करता है।

भरोसे की नींव कमजोर होती है

माता-पिता और बच्चों के बीच भरोसा एक मजबूत और स्वस्थ रिश्ता बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है। यह भरोसा प्रेम, समझ और संचार पर आधारित होता है। जब माता-पिता गुस्से में आकर बच्चों को सजा देते हैं या उनकी पिटाई करते हैं, तो यह भरोसे की नींव को कमजोर कर देता है। बच्चे डर जाते हैं और माता-पिता से अपनी बातें साझा करने में हिचकते हैं। वे अपनी गलतियों को छिपाने की कोशिश करते हैं और झूठ बोलने लगते हैं। इसके साथ ही, बच्चे यह मानने लगते हैं कि माता-पिता उनकी बात नहीं सुनेंगे या उनकी भावनाओं को नहीं समझेंगे। धीरे-धीरे बच्चों और माता-पिता के बीच संवाद कम हो जाता है और रिश्ता कमजोर होने लगता है।

हिंसा बढ़ती है

माता-पिता का गुस्सा और बच्चों पर इसका प्रभाव एक गंभीर मुद्दा है। अत्यधिक सख्ती और बच्चों की पिटाई न केवल उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि उनमें हिंसक प्रवृत्ति भी विकसित कर सकता है। जब बच्चे लगातार डर और गुस्से के माहौल में रहते हैं, तो वे हिंसा को ही समस्याओं को सुलझाने का तरीका मानने लगते हैं। वे कमजोरों पर अपना गुस्सा निकालने लगते हैं, घर में छोटे भाई-बहनों के साथ मारपीट करते हैं, और स्कूल में धमकाने का सहारा ले सकते हैं।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)

 

 

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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