Parenting Tips: क्या आप भी गुस्से में बच्चों पर उठा देते हैं हाथ, जान लें नुकसान, पड़ता है मानसिक स्वास्थ्य पर असर

Parenting Tips: गुस्से में बच्चे पर हाथ उठाना एक बड़ी गलती है। यह न केवल बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि उसके व्यवहार और विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।

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Parenting Tips: सोशल मीडिया पर आए दिन ऐसे वीडियो सामने आते हैं जिनमें माता-पिता अपने बच्चों को मारते-पीटते या उन्हें शारीरिक चोट पहुंचाते हुए देखे जा सकते हैं। हमारे आसपास भी अक्सर ऐसे दृश्य देखने को मिल जाते हैं जहां माता-पिता गुस्से में, किसी गलती पर, बात न मानने पर या मजाक में ही थप्पड़ लगा देते हैं।कई बार माता-पिता का कहना होता है कि बच्चा बात नहीं मानता है तो मारना जरूरी होता है या फिर गुस्सा गलती से बच्चे पर निकल जाता है। लेकिन क्या वे जानते हैं कि ये छोटी सी गलतियां बच्चे के भविष्य को प्रभावित कर सकती हैं? बच्चे पर गुस्सा आना स्वाभाविक है, लेकिन गुस्से में हाथ उठाना कभी भी सही समाधान नहीं होता।

बच्चों पर गुस्से में हाथ उठाने से क्या होता है

कई बार माता-पिता को किसी और बात पर गुस्सा अपने बच्चों को मारकर उतार देते हैं। लेकिन गुस्से में बच्चों की पिटाई करना क्या सही है। दरअसल, बच्चों की पिटाई कभी भी करना सही नहीं माना जाता है क्योंकि यह सिर्फ शारीरिक दंड ही नहीं है बल्कि इससे बच्चों की मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ सकता है। जब माता-पिता बच्चों पर गुस्सा करते हैं उनकी पिटाई करते हैं तो बच्चे को मन में हमेशा डर लगा रहता है।

उन्हें एंजायटी होने लगती है इतना ही नहीं इस बात का असर उनकी पढ़ाई और दोस्ती पर भी साफ देखने को मिलता है। ऐसे में बच्चे कभी भी अपने मन की बात माता-पिता के साथ साझा नहीं कर पाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर उनके माता-पिता को उनकी बात पसंद नहीं आई तो वह उनकी पिटाई कर सकते हैं। माता-पिता चाहे बच्चों पर एक ही बार गुस्सा करें या एक ही बार उनकी पिटाई करें लेकिन लंबे समय तक बच्चों के मन में उस बात का डर बैठा रहता है। इसलिए माता-पिता को यह समझना बेहद जरूरी है कि वह अपना गुस्सा कभी भी बच्चों पर न उतारें ऐसे में बच्चों का और माता-पिता का रिलेशनशिप खराब हो सकता है, जो आगे चलकर समस्या पैदा कर सकता है।

माता-पिता को यह बात समझने की बेहद जरूरत है कि बच्चों से गलती हो सकती है, और सिर्फ बच्चों से ही गलती नहीं होती है कई बार बड़े भी गलतियां कर देते हैं। ऐसे में अगर बच्चे से कुछ गलती हो गई है या बच्चे नहीं जाने अनजाने में कुछ गलत कह दिया है तो आप उसे समझा सकते हैं ना कि उसकी पिटाई करें।

बच्चों को उनकी गलतियां सुधारने का मौका दें। उन्हें सही गलत का फर्क सिखाएं साथ ही साथ जब बच्चे अच्छा काम करें तो उनकी प्रशंसा करें ताकि वे आगे भी अच्छा काम करने के लिए प्रेरित रहे। अधिकांश माता-पिता को इस बात की गलतफहमी रहती है कि अगर बच्चों को मारा जाए उनकी पिटाई की जाए तो बच्चे सुधर जाते हैं या सही लाइन पर आ जाते हैं, लेकिन यह सरासर गलत है। इससे बच्चा सुधरता नहीं है बल्कि और भी ज्यादा बिगड़ सकता है।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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