Parenting Tips: बच्चों की परवरिश करते समय कई माता-पिता इतनी ज्यादा प्रोटेक्टिव हो जाते हैं कि वह उनकी सुरक्षा और देखभाल के नाम पर उनकी हर गतिविधि पर नजर रखने लगते हैं जो कभी-कभी जासूसी जैसा लग सकता है। ऐसे में भी बच्चों के हर काम में टोका टाकी करने लगते हैं जिससे बच्चे असहज महसूस कर सकते हैं।
यह आदत बच्चों की आजादी और आत्मनिर्भरता को प्रभावित करती है और कई बार उसका उल्टा असर होता है। बच्चों को जरूर से ज्यादा नियंत्रण रखने से वह झूठ बोलने लगते हैं या अपनी बातें छुपाने लगते हैं जिससे माता-पिता और बच्चों के बीच दूरी बढ़ सकती है।
क्या बच्चों की हरकतों पर रखते हैं पैनी नजर? (Parenting Tips)
बच्चों में विश्वास बनाए रखें
किसी भी रिश्ते की मजबूत बुनियाद विश्वास पर टिकी होती है और बच्चों के साथ भी यही बात लागू होती है। अगर माता-पिता अपने बच्चों की जासूसी करते हैं, तो इससे बच्चों का उनपर से विश्वास खत्म हो जाता है। जब बच्चों को यह एहसास होता है कि उनकी निजी सीमाओं का सम्मान नहीं किया जा रहा है, तो वह इस विश्वासघात मानने लगते हैं और पेरेंट्स से दूरी बना लेते हैं।
अत्यधिक निगरानी से बच्चों में बढ़ सकती है दूरी
जब बच्चों को यह महसूस होता है, कि उनके हर कदम पर नजर रखी जा रही है, तो वह अपनी बातें छुपाने लगते हैं और माता-पिता की नजरों से बचने के नए तरीके ढूंढ़ने लगते हैं। इस तरह का व्यवहार उनके मन में माता-पिता के प्रति नाराजगी और खटास भर सकता है, जो समय के साथ बढ़ती जाती है। लगातार निगरानी के कारण बच्चे अपनी प्राइवेसी का सम्मान खो देते हैं जिससे रिश्तों में ऐसी दूरियां बन जाती है, जिन्हें भरना बेहद मुश्किल हो सकता है।
बच्चों को निर्णय लेने की स्वतंत्रता दें
बच्चों को अपनी पहचान बनाने और सही निर्णय लेने के लिए थोड़ी आजादी का होना जरूरी है। अगर उन्हें हर वक्त मॉनिटर किया जाता है, तो उससे उनकी सोचने और समझने की क्षमता प्रभावित होती है। इससे बच्चे जीवन की समस्याओं को खुद से सुलझाने में असमर्थ महसूस करने लगते हैं, क्योंकि वह हर समय माता-पिता पर निर्भर हो जाते हैं।
बढ़ सकता है तनाव और मानसिक समस्याएं
अगर बच्चों को यह पता चल जाए, कि उनके माता-पिता उनकी हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं, तो उससे वे तनाव और चिंता का शिकार हो सकते हैं। लगातार मॉनिटरिंग से वे खुद पर दबाव महसूस करने लगते हैं, जिससे उनमें तनाव बढ़ने लगता है और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके चलते बच्चों में एंजायटी जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती है, जो उनके पूरे विकास और मानसिक संतुलन के लिए हानिकारक है।