Parenting Tips: क्या आपके बच्चे भी भूलने लगे हैं हर छोटी बड़ी बातें? कहीं मोबाइल तो नहीं है इसका कारण, जानें

Parenting Tips: आजकल के डिजिटल युग में मोबाइल फोन हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि मोबाइल का अत्यधिक उपयोग बच्चों की याददाश्त पर बुरा प्रभाव डाल सकता है?

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Parenting Tips: मोबाइल और इंटरनेट ने हमारे जीवन को आसान तो बना दिया है, लेकिन इनका अत्यधिक उपयोग, खासकर बच्चों के लिए, चिंता का विषय बन गया है। मोबाइल का लगातार इस्तेमाल बच्चों की याददाश्त कमजोर कर रहा है और उनके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा रहा है। यह आवश्यक है कि हम बच्चों को मोबाइल के नुकसानों के बारे में जागरूक करें और उन्हें किताबें पढ़ने, खेलने और अन्य गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें। मोबाइल के उपयोग को सीमित करके और बच्चों को स्वस्थ आदतें सिखाकर हम उन्हें एक बेहतर भविष्य दे सकते हैं।

हर चौथा व्यक्ति बन रहा भुल्लकड़

हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार, बड़े शहरों में हर 10 में से 4 युवा और बच्चे मोबाइल की लत के कारण भुलक्कड़ होते जा रहे हैं। जोधपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज द्वारा किए गए इस अध्ययन में यह बात सामने आई है कि स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों में से 51% मोबाइल की लत के शिकार हैं। लगातार मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग बच्चों के मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, जिसके कारण उनकी याददाश्त कमजोर हो रही है और वे चीजें जल्दी भूल जाते हैं। यह एक गंभीर समस्या है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

मेमोरी लॉस की समस्या

अत्यधिक फोन उपयोग और स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों में मेमोरी लॉस की समस्या तेजी से बढ़ रही है। पहले यह समस्या मुख्य रूप से बुजुर्गों में देखी जाती थी, लेकिन अब मोबाइल और गैजेट्स के अधिक उपयोग के कारण बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं। लगातार स्क्रीन देखने से नींद की कमी, मानसिक थकान और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जैसी समस्याएं पैदा होती हैं जो दिमाग को प्रभावित करती हैं। इस तरह के लगातार तनाव और मस्तिष्क पर बोझ के कारण बच्चों में डिमेंशिया जैसे लक्षण भी देखने को मिल रहे हैं, जिसे डिजिटल डिमेंशिया भी कहा जाता है। यह एक गंभीर समस्या है जिसके लिए हमें तत्काल उपाय करने की आवश्यकता है।

मोबाइल उपयोग के दुष्प्रभाव

याददाश्त कमजोर होना: लगातार स्क्रीन समय के कारण बच्चों का ध्यान भटकता है, जिससे वे पढ़ाई और अन्य गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते। इससे उनकी याददाश्त कमजोर होती है और वे चीजें जल्दी भूल जाते हैं।

नींद की कमी: मोबाइल की रोशनी नींद के पैटर्न को बाधित करती है, जिससे बच्चों को नींद नहीं आती है। नींद की कमी से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है।

आंखों की समस्याएं: मोबाइल की नीली रोशनी आंखों को नुकसान पहुंचाती है, जिससे आंखों में सूजन, जलन और दृष्टि संबंधी अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

मोटापा: मोबाइल के उपयोग के कारण बच्चे शारीरिक गतिविधियों से दूर होते हैं, जिससे मोटापे का खतरा बढ़ जाता है।

मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: अत्यधिक मोबाइल उपयोग से चिंता, तनाव और अवसाद जैसी मानसिक समस्याएं हो सकती हैं।

सामाजिक कौशल में कमी: मोबाइल पर अधिक समय बिताने के कारण बच्चों के सामाजिक कौशल कमजोर होते हैं। वे दूसरों के साथ बातचीत करने में असहज महसूस करते हैं।

शैक्षणिक प्रदर्शन पर प्रभाव: मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से बच्चों का शैक्षणिक प्रदर्शन प्रभावित होता है। वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं।

बच्चों को मोबाइल की बुरी लत से बचाने के उपाय

  • बच्चों के मोबाइल उपयोग के लिए एक निश्चित समय सीमा तय करें, जैसे कि एक दिन में 1-2 घंटे। सुनिश्चित करें कि वे इस समय सीमा के भीतर ही मोबाइल का उपयोग करें। समय सीमा को दैनिक रूटीन में शामिल करें, जैसे कि खाने के बाद या पढ़ाई के बाद, ताकि बच्चों को नियमित समय पर मोबाइल मिल सके।
  • बच्चों को खेल-कूद, बाहरी गतिविधियों, और शारीरिक खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे वे मोबाइल से दूर रहेंगे और शरीर की सक्रियता बनी रहेगी। जैसे कि उन्हें साइकिल चलाने, दौड़ने, तैराकी, या किसी खेल क्लब में शामिल होने के लिए प्रेरित करें।
  • परिवार के साथ समय बिताने की आदत बनाएं। एक साथ खाना, खेलना, या बातचीत करना बच्चों को मोबाइल से दूर रखता है और परिवार के संबंधों को भी मजबूत बनाता है। विशेष परिवारिक गतिविधियों की योजना बनाएं, जैसे कि बोर्ड गेम्स, फिल्म नाइट्स, या आउटडोर पिकनिक।
  • बच्चों के मोबाइल उपयोग को ऐसे ऐप्स और खेलों तक सीमित रखें जो शिक्षात्मक और ज्ञानवर्धक हों। इससे उन्हें मनोरंजन के साथ-साथ सीखने का भी लाभ होगा। उदाहरण के लिए, भाषा सीखने के ऐप्स, गणित के खेल, या विज्ञान के क्विज़ का चयन करें और मनोरंजन के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए ऐप्स से दूर रखें।
  • बच्चों के सामने खुद भी मोबाइल का उपयोग सीमित करें। यदि आप खुद मोबाइल पर बहुत समय बिताते हैं, तो बच्चे भी यही आदत अपनाएंगे। परिवार के साथ समय बिताने, किताबें पढ़ने, और अन्य रचनात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहित करके एक अच्छा उदाहरण पेश करें।
  • रात को सोने से पहले मोबाइल का उपयोग पूरी तरह से बंद कर दें। सोने का एक निश्चित समय निर्धारित करें और सुनिश्चित करें कि बच्चे इस नियम का पालन करें। सोने से पहले अन्य शांतिपूर्ण गतिविधियों, जैसे कि किताब पढ़ना या ध्यान लगाना, को प्रोत्साहित करें।
  • बच्चों को किताबें पढ़ने, ड्राइंग करने, संगीत सुनने, या किसी अन्य रचनात्मक गतिविधि में शामिल होने के विकल्प प्रदान करें। जैसे कि कला और शिल्प गतिविधियों, संगीत सिखाने वाले ऐप्स, या कहानियाँ सुनाने के समय को बढ़ावा दें।

 

 

 

 

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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