पब्लिक जगहों पर बच्चे की हरकतें कर रही हैं शर्मिंदा? अपनाएं ये आसान टिप्स

Bhawna Choubey
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Parenting Tips: बच्चों को बाहर लेकर जाना कभी कभी माता-पिता के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है. आप चाहें रेस्टोरेंट में खाना खा रहे हो, मार्केट जा रहे हो, या किसी पारिवारिक कार्यक्रम में ही क्यों ना शामिल हो रहे हो, बच्चों का बर्ताव कई बार माता-पिता को चिंता में डाल देता है. माता-पिता अक्सर ऐसा महसूस करते हैं कि बाहर जाने के बाद उनके बच्चे कुछ इस तरह की हरकतें करते हैं, जो हरकतें उन्होंने आज तक कभी घर में नहीं की होती है.

अगर सही तरीक़े और सोच के साथ बाहर जाए तो आप इसे आसानी से संभाल सकते हैं. आज हम आपको इस आर्टिकल के ज़रिये बताएंगे कि कैसे आप अपने बच्चे के साथ पब्लिक जगहों पर अच्छे से जा सकते हैं और साथ ही उनकी सोशल स्किल, सेल्फ कंट्रोल और डेवलपमेंट को भी बढ़ावा दे सकते हैं.

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कारण जानने की कोशिश करें (Parenting Tips)

छोटे बच्चों का पब्लिक जगहों पर सही बर्ताव ना करना एक सामान्य बात है और इसके पीछे कुछ ख़ास कारण होते हैं. सबसे पहले यह जानने की ज़रूरत है कि बच्चे बहार ऐसा बर्ताव क्यों करते हैं.

ये हो सकता हैं मुख्य कारण

छोटे बच्चे अपनी उस उम्र में होते हैं जब उनकी स्वतंत्रता ,जिज्ञासा और दुनिया को जानने की इक्छा बढ़ती है. लेकिन उनकी भावनाओं को कंट्रोल करने की क्षमता, ध्यान देने की अवधि और ख़ुद को शांत रखने की आदत अभी पूरी तरह से विकसित नहीं होती है. इस वजह से जब वे नयी और अजनबी जगहों पर होते हैं और उन्हें कोई परेशानी होती है या अच्छा नहीं लगता है, तो वे ज़िद करने लगते हैं.

अलग जगहों में नहीं ढल पाते बच्चे

पब्लिक जगहों जैसे रेस्टोरेंट, दुकान और फ़ैमिली गैदरिंग में बहुत सारी नई चीज़ें देखने को मिलती है. जैसे अलग आवाज़ें, ख़ुशबू और चीज़ों का एहसास, जो छोटे बच्चों को कन्फ्यूज़ कर सकती है. ये सारी चीज़ें उनके दिमाग़ पर बहुत असर डाल सकती है, जब उन्हें समझने में दिक़्क़त होती है वे ग़ुस्सा कर सकते हैं, चिढ़ सकते हैं.

रोज़ाना की दिनचर्या होती है पसंद

अक्सर देखा जाता है कि छोटे बच्चों को रोज़ की दिनचर्या बहुत पसंद होती है जैसे खाना, सोना और खेलना. जब वे बाहर जाते हैं तो उनका यह रूटीन बदल जाता है, जिससे उन्हें बेचैनी, ग़ुस्सा या थकावट महसूस होने लगती है.

इस तरह से संभाल सकते हैं स्थिति

अगर आप चाहते हैं, कि पब्लिक जगहों पर आपके बच्चे शांत रहें और सभी के साथ अच्छा बर्ताव करें तो इन चीज़ों का ध्यान रखना होगा:

जैसे आप अपने बैग में हेल्दी स्नैक्स और पानी की बॉटल रख सकते हैं. जब कभी भी बच्चों को बहार अच्छा नहीं लगे, तो आप उन्हें खाने के लिए उसकी मनपसंद चीज़ें दे सकते हैं. अगर ये चीज़ें हेल्दी रहेंगी, तो और भी अच्छा रहेगा.

उनका पसंदीदा खिलौना या कोई ऐसी चीज़ लेकर जाएं, जो उन्हें अच्छी लगती हो. और जब बच्चों को पब्लिक जगहों पर अच्छा नहीं लगता है तो आप उन्हें उनका मन पसंदीदा खिलौना दे सकते हैं, ऐसे में बच्चा खेलने में व्यस्त रहेगा और उसे बाहर के वातावरण से ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ेगा.

अगर आप कोई ऐसी जगह जा रहे हैं, जहाँ बच्चे कपड़े गंदे कर सकते हैं, तो इसके लिए एक जोड़ी कपड़े एक्स्ट्रा रखें. अक्सर देखा जाता है कि छोटे बच्चे अपने कपड़े गंदे कर लेते है, तो वे और भी ज़्यादा चिढ़ने लगते हैं.

 


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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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